रामनगर बाराबंकी संदेश महल
अयोध्या धाम में श्री राम लला का मंदिर 500 वर्षों के बाद बनकर तैयार हो गया है।आगामी 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी लगभग पूर्ण हो गई है। जिसको लेकर जन-जन में खुशी का माहौल छाया हुआ है। ग्रामीण अंचल व शहर से लेकर विश्व स्तर तक जय श्री राम की ध्वनि गूंज रही है। अयोध्या राम जन्मभूमि देश के सबसे लंबे वाले केस में एक है राम जन्मभूमि का इतिहास बहुत पुराना है 1528 से लेकर 2023 तक श्री राम जन्मभूमि के पूरे 495 वर्षों के इतिहास में कई मोड़ आए जिसमें 9 नवंबर 2019 का दिन बेहद खास रहा जब पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पहले 1528 मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने विवादित जगह पर तीन गुंबदों का निर्माण करवाया। इस कार्य को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा यह दावा किया गया कि यहां भगवान राम की जन्मभूमि है और जहां पर गुंबद बनाया गया है इसके नीचे एक प्राचीन मंदिर पूर्व से बना हुआ है। इसको लेकर 1853 में कई बार दंगे हुए 1849 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बेरीकैटिंग लगाकर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया। 23 सितंबर 1949 को मंदिर के अंदर भगवान राम की मूर्तियां मिली। इसे लेकर हिंदू समुदाय के लोग कहने लगे कि यहां भगवान राम प्रकट हुए हैं वही मुस्लिम समुदाय के लोगों का आरोप था कि किसी ने चुपके से यहां मूर्तियां रख दी है। विवाद को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट के के नायर ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने और दंगा होने के डर से इस आदेश को असमर्थता जताते हुए। विवादित ढांचा मानकर यहां पर ताला लगवा दिया गया। 1950 में फैजाबाद के सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल हुई। इसमें विवादित भूमि पर रामलला की मूर्ति रखने की इजाजत व पूजा करने की अनुमति मांगी गई। 1 फरवरी 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के एम पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी और ढांचे पर लगे ताले को खुलवाने का आदेश दिया। 6 दिसंबर 1992 को कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इस दौरान उस समय मौजूदा प्रदेश सरकार के आदेश पर चलाई गई गोलियों से कई कार्य सेवकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिसको लेकर प्रदेश से लेकर देश तक दंगे का माहौल बन गया। हिंदू पक्षकारों ने न्यायालय की शरण ली। इसके बाद 9 नवंबर 2019 को पांच जजों की बेंच ने श्री राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं पर 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को दी गई। 30 मार्च 2020 को 28 साल बाद राम लाल टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में शिफ्ट हुए और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया। और मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। 2023 को अयोध्या धाम में श्री राम जी का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आज है।
मंदिर का परिसर 57 एकड़ का है जिसमें मंदिर बनाया गया है। जिसकी लंबाई 360 फीट चौड़ाई 235 फीट ऊंचाई 161 फीट मंदिर में 5 मंडप 318 खंबे 44 द्वार बनाए गए हैं एक खंभा 14.6 फीट है। राम भक्तों को सिंह द्वारा तक पहुंचने के लिए 32 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेगी। मंदिर द्वार बंद करने के लिए अलीगढ़ से चार कुंटल का ताला व 30 किलो की चाभी मंगाई गई है।