डीएम साहब एक नजर इधर भी-विद्यालयो में वाहन से लेकर भवनों तक सभी मानक विहीन

रामकुमार मौर्य
रामनगर बाराबंकी संदेश महल
तहसील रामनगर क्षेत्र में सैकड़ो फर्जी तरीके से बिना मान्यता के विद्यालय संचालित हो रहे हैं। ऐसे विद्यालयो में वाहन से लेकर भवनों तक सभी मानक विहीन है। विभागीय अधिकारी बिल्कुल मौन रहते हैं। कृपया करके जिलाधिकारी महोदय एक दृष्टि इस क्षेत्र में चल रहे, फर्जी तरीके से विद्यालयों की जांच कर कार्यवाही करने की कृपा करें। क्योंकि इनसे संबंधित अधिकारियों की जेब गर्म कर दी जाती हैं ।जिससे वे लोग कभी भी क्षेत्र में चल रहे ऐसे फर्जी मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रति जांच नहीं करते हैं। इसलिए इन विद्यालयों के संचालकों द्वारा अभिभावकों से पढ़ाई के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। समाचार विवरण के अनुसार रामनगर तहसील के कस्बा रामनगर, गणेशपुर ,महादेव, सूरतगंज सूधियामऊ,कड़कापुर,भैरमपुर,रानी बाजार, दलसराय मरकामऊ, सहादतगंज जैसे अनेक स्थानों पर बिना मान्यता प्राप्त सैकड़ो की संख्या में विद्यालय संचालित हो रहे हैं। बहुत से ऐसे स्कूल हैं जिनकी मान्यता प्राइमरी स्तर तक है। वे कक्षा 8 तक विद्यालय संचालित कर रहे हैं ।इसके अलावा जिन विद्यालयों की कक्षा 8 की मान्यता है वह लोग इंटर तक कक्षाएं संचालित कर रहे हैं ।जबकि इन विद्यालयों में बच्चों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है ।इन विद्यालय में लगे वाहनों के चालक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बच्चों को वाहनों में ठूस ठूस कर भरकर धज्जियां उड़ाते हुए सड़कों पर खर्राटे के साथ वाहनों को चलते हैं ।बहुत से ऐसे स्कूल हैं, जो अपने बच्चों का प्रवेश अन्य विद्यालय में कराकर उनकी परीक्षा कर देते हैं। इसके अलावा यहां पर कुछ विद्यालय संचालक शाखा खोलकर विद्यालय चला रहे हैं। यह लोग एक स्थान पर अपने विद्यालय की मान्यता ले लेते हैं। उसके बाद जगह पर शाखा खोलकर विद्यालय चलाकर कमाई का धंधा बना दिया है। अभिभावकों का कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में अच्छी पढ़ाई न होने के कारण हम लोगों को अपने बच्चों को इन विद्यालयों में प्रवेश दिलाना पड़ता है। इसलिए जिला अधिकारी महोदय से निवेदन है कि क्षेत्र में फर्जी तरीके से चल रहे स्कूलों की जांच करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए ।तभी इस पर रोक लग सकती है ।इन विद्यालय में कम पढ़े लिखे लोगों को रखकर बच्चों की पढ़ाई की जाती है। क्योंकि जो अध्यापक मान्यता प्राप्त विद्यालय में कार्यरत है और योग्य नहीं है ,उसे मानदेय के नाम पर काम चलाऊ पैसा दिया जाता है। इस समय क्षेत्र में पढ़े लिखे काफी संख्या में नौजवान बेरोजगार हैं। जिसका फायदा ऐसे विद्यालय चलने वाले संचालक उठा रहे हैं। क्योंकि आज के समय में एक बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति जो मजदूरी करता है उसे गांव में ₹300 तथा शहरों में दुगने पैसे मिलते हैं ।लेकिन पढ़े-लिखे व्यक्ति को मजदूर के बराबर भी एक दिन की मजदूरी नहीं मिलती है। वहीं पर सरकारी विद्यालय में कार्यरत अध्यापक इतना अधिक वेतन पाते हैं,कि उनके स्थान पर ऐसे कई अध्यापक रखे जा सकते हैं। फिर भी यह लोग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं। जिसके चलते शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है ।समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक दिन पूरा देश अशिक्षित श्रेणी में चला जाएगा।