संदेश महल
वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत ने कहा कि समाज के सभी वर्गों में प्रदूषण को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कम उम्र में श्वास, उच्च रक्त चाप जैसी बीमारियां अब सामान्यत: अधिक देखने को मिल रही है। मंत्रालय में पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री श्री रावत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ध्वनि प्रदूषण पर भी निगरानी बढ़ानी आवश्यक है। प्रदूषण से निजात पाने के लिये जनजाग्रति के माध्यम से जीवन प्रत्याशा बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंत्री श्री रावत ने प्रदूषण के फलस्वरूप नागरिकों में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे उक्त रक्तचाप, कैंसर, शुगर एवं श्वास संबंधी बीमारी के बढ़ने पर चिंता प्रकट की। उन्होंने प्रदूषित जल मल-जल स्त्रोतों में न मिलें, इसके लिये प्रत्येक घर के मल-जल को सीवर से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नर्मदा एवं क्षिप्रा नदी में नगरीय निकाय एवं उद्योगों के दूषित जल से होने वाले प्रदूषण के जल को रोकने के लिये प्रस्ताव तैयार किये जायें। उद्योगों में उपयोग होने वाले कोयले आदि प्रदूषणकारी ईंधन के स्थान पर सीएनजी जैसे क्लीन फ्यूल के उपयोग को बढ़ावा दिया जायें। श्री रावत ने कहा कि 17 प्रकार के विशेष प्रदूषणकारी उद्योगों तथा जल एवं वायु प्रदूषण की निगरानी के लिये सतत् प्रदूषण मापन संयंत्रों की स्थापना की जाये। मंत्री श्री रावत ने कहा कि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को और अधिक सशक्त एवं अधिकार सम्पन्न बनाया जायेगा। उन्होंने कहा वर्तमान में बोर्ड में मानव संसाधन की भारी कमी को दूर करने के लिये रिक्त पदों पर भर्ती के लिये शीघ्र प्रस्ताव तैयार किया जाये। मंत्री श्री रावत ने मेरिज गार्डन से होने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण की अत्यंत आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स द्वारा जल प्रदूषण नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था न किये जाने तथा मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूर्वानुमति न प्राप्त करने पर जल स्त्रोतों को प्रदूषण होता है, इस पर सख्ती बरती जाये। मंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के कार्य में कई अंतर्विभागीय मुद्दे सम्मिलित होते हैं। इसके लिये नगरीय आवास एवं विकास विभाग, उद्योग विभाग, खनिज विभाग इत्यादि से भी आवश्यक समन्वय स्थापित किया जाये। श्री रावत ने समस्त क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि वह अपने क्षेत्र की प्रदूषण संबंधी समस्याओं को मेरे संज्ञान में लायें। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए जन-जाग्रति के माध्यम से जीवन प्रत्याशा बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए। मंत्री श्री रावत ने विभागीय अधिकारियों द्वारा दिये गये प्रस्तुतिकरणों का अवलोकन किया। मंत्री श्री रावत ने बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना भी की। समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव पर्यावरण-सह-अध्यक्ष मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री गुलशन बामरा, बोर्ड के सदस्य सचिव श्री अच्युतानंद मिश्रा और बोर्ड के विभिन्न क्षेत्रीय अधिकारी उपस्थित रहे।