पिसावां की रामलीला में श्रीराम भरत मिलाप का मंचन

पिसावा/ सीतापुर (सऺदेश महल) बाबू सिंह इंटर कालेज के सामने चल रही रामलीला के छठे दिन जय मड़ैया बाबा सेवा समिति के कलाकारों द्वारा दशरथ मरण, श्रीराम भरत मिलाप का मंचन किया गया। राम भरत मिलाप देख दर्शकों के आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। मंचन में दिखाया गया कि जब भरत को पता चला कि माता कैकेयी ने उन्हें राजसिंहासन पर बैठाने के लिए राम को 14 वर्ष का वनवास दिलाया है। तो वह राम को वापस लाने के लिए वन की ओर चल दिए। सेना के साथ भरत को वन की तरफ आता देख
लक्ष्मण समझ गये कि वह अयोध्या की सेना है। राम के पास आकर क्रोध से लक्ष्मण ने कहा, ‘भैया! कैकेयी का पुत्र भरत सेना लेकर इधर चला आ रहा है। वह वन में अकेला पाकर हमारा वध कर देना चाहता है। राम ने कहा ‘लक्ष्मण तुम ये कैसी बातें कर रहे हो। भरत तो मुझे प्राणों से भी प्रिय है। अवश्य ही वह मुझे अयोध्या वापस ले जाने के लिये आया होगा। भरत व शत्रुघ्न आकर श्रीराम के चरणों मे दण्डवत प्रणाम करते है। राम ने दोनों भाइयों को हृदय से लगाया और पूछा पिताजी तथा माताएँ कुशल से हैं। तब भरत कहते हैं भैया पिता स्वर्ग सिधार गये। मेरी माता ने जो पाप किया है, उसके कारण मुझ पर भारी कलंक लगा है, मैं आपकी शरण में आ गया हूँ। आप अयोध्या का राज्य सँभाल कर मेरा उद्धार करें। इतना कहते ही भरत राम से लिपटकर रोने लगे। वह दृश्य बहुत मार्मिक था। भरत ने राम से कहा कि अयोध्या पर राज करने का अधिकार सिर्फ आपको है। तब राम ने कहा कि मैने पिताजी को वचन दिया है कि मैं 14 वर्ष का वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटूंगा। तब भरत राम की ‘चरण पादुकाएं’ सिर पर रखकर अयोध्या ले आए और उन्हें सिंहासन पर रखकर सेवक के रूप में राजकाज संभालने लगे।

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