गोमती नदी खासी महत्वपूर्ण पहले भी मिल चुकी हैं प्राचीन मूर्तियां

सीतापुर संदेश महल
पुरातात्विक दृष्टिकोण से सीतापुर में बह रही गोमती नदी में खासी महत्वपूर्ण है। इससे पूर्व में मूर्तियां और अन्य सामान नदी से बरामद किए जा चुके हैं जो लखनऊ और दिल्ली में सुरक्षित हैं। गोमती के किनारे शिवलिंग,मूर्तियों और अन्य वस्तुओं के रूप में मिले हैं। 1966-67 दौरान भारतीय पुरातत्व विभाग के पुरातत्ववेत्ता हेमनाथ के निर्देशन में यहां उल्खनन कराया गया था।

भारतीय पुरातत्व विभाग ने मनवा गांव में स्थित माधाता टीले पर पर संरक्षण का बोर्ड भी लगाया हुआ है। इतिहासकार अनुप तिवारी बताते हैं कि गोमती नदी के किनारे कभी अनेकों मंदिर हुआ करते थे। वर्ष 1995-96 मे बेरापुर गांव के निकट गोमती नदी मे लाल पाषाण की भव्य प्रतिमा मिली थी। जो दो हजार वर्प पुरानी जैन तीर्थंकर भगवान विमलनाथ की बताई जाती है। कानूनी प्रक्रिया के बाद जैन समाज ने सिधौली स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर मे स्थापित कराई थी। वर्ष 2024 के 18 जून को बताया बेरसापुर के निकट ही गोमती नदी में एक शिवलिंग मिला था, जिसे ग्रामीणों ने उसी स्थान के निकट स्थित बालेश्रवर महादेव में मंदिर में स्थापित कर दिया। यह शिवलिंग साढ़े चार फुट ऊंचा है। जहां यह शिवलिंग मिला था, उसी जगह से दो साल पहले नंदी की मूर्ति मिली थी। गोमती नदी के इस क्षेत्र में सिर्फ मुर्तियां ही नहीं मिली, बल्कि अन्य तमाम ऐतिहासिक चीजें भी मिली हैं।