घनश्याम त्रिपाठी
संतकबीरनगर संदेश महल
संघर्ष, संस्कार और सम्मान की ऐतिहासिक सरजमीं “द्वाबा की मिट्टी” का क्रांतिकारी इतिहास अब वैश्विक पटल के शीर्ष पर सुशोभित होगा। इस मिट्टी की प्रतिभा और इसकी गुणवत्ता के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को सम्मान दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे वरिष्ठ भाजपा नेता एवम् हैसर धनघटा नगर पंचायत के चेयरमैन प्रतिनिधि नीलमणि के संघर्ष को आखिरकार मुकाम मिल ही गया। बुधवार को जब प्रदेश के पर्यटन विभाग के महानिदेशक ने जिला पर्यटन एवम् संस्कृति सचिव को पत्र भेज कर प्रस्तावित द्वाबा महोत्सव के लिए 20 लाख रुपए आवंटित किए जाने की जानकारी दिया तो जिले के दक्षिणांचल को अलग पहचान मिलने की आस बढ़ गई। विदित है कि पिछले कई दिनों द्वाबा की ऐतिहासिक धरती के पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करने के लिए चेयरमैन रिंकू मणि और प्रतिनिधि नीलमणि लगातार प्रयासरत थे। शासन से लेकर जिलाधिकारी तक प्रस्तावित द्वाबा महोत्सव को प्रदेश के पर्यटन क्षितिज पर स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 15 नवंबर से 17 नवंबर तक चलने वाले इस द्वाबा महोत्सव के आयोजन से इस मिट्टी के त्याग, तपस्या और समर्पण को नया मुकाम हासिल होगा। चेयरमैन प्रतिनिधि नीलमणि ने कहा कि घाघरा और कुआनो नदी के बीच स्थित स्थित यह क्षेत्र दोनो नदियों की त्रासदी वर्षों से झेलता आ रहा है। तमाम दुश्वारियों का सामना करते हुए खेल, शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में इस मिट्टी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि इस सरजमीं का प्रतिनिधित्व करते समय उन्हें और चेयरमैन रिंकू मणि को हमेशा अपनी मिट्टी के ऐतिहासिक स्वरूप को इतिहास के पन्नो पर अंकित कराने की ललक बनी रहती थी। चेयरमैन रिंकू मणि ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज जब शासन ने इस ऐतिहासिक द्वाबा महोत्सव को प्रदेश के पर्यटन विभाग में स्थान देकर इस महोत्सव के लिए 20 लाख रुपए की संतुति प्रदान किया तो इस धरती के साथ न्याय होने की उम्मीद बढ़ गई। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत कार्यालय और जिलाधिकारी द्वारा इस महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए 46 लाख रूपए की मांग की गई थी लेकिन शासन द्वारा जो भी धनराशि उपलब्ध कराई गई है उसका सम्मान करते हुए इस महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने में धन की कोई भी कमी आड़े नहीं आने दी जाएगा।