मोहम्मद अनस
लखीमपुर-खीरी संदेश महल
लखीमपुर खीरी से पकड़े गए आदमखोर बाघ की कानपुर प्राणी उद्यान में मृत्यु हो गई है। यह बाघ दो लोगों की जान ले चुका था और 26 नवंबर को लखीमपुर से कानपुर चिड़ियाघर लाया गया था। 29 नवंबर को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
कानपुर प्राणी उद्यान में लखीमपुर खीरी से लाए गए बाघ की मौत हो गई। जू प्रशासन ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद बाघ का गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार भी कर दिया। बाघ की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मौत सेप्टीसीमिया (रक्त में संक्रमण) से होना बताया गया है। लखीमपुर खीरी महेशपुर रेंज में नवंबर महीने में आदमखोर बाघ का आतंक था। इसने मन्नापुर गांव के दो किसानों पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था।
वन विभाग की टीम ने 23 नवंबर को घायल बाघ को पकड़ा था। बीते 26 नवंबर को लखीमपुर खीरी के वन विभाग के अधिकारी इलाज के लिए बाघ को चिड़ियाघर छोड़ गए थे। यहां पर उसे क्वॉरेंटाइन किया गया था। डॉ अनुराग अपनी टीम के साथ उसपर नजर बनाए हुए थे। बाघ ने तीन दिनों तक पांच किलो मीट खाया, लेकिन वह दिन पर दिन सुस्त होता जा रहा था।बीते 29 नवंबर को बाघ अपने बाड़े में मृत अवस्था में मिला था। तीन डॉक्टरों के पैनल डॉ अनुराग, डॉ नासिर और डॉ नितेश ने पोस्टमॉर्टम किया। जिसमें सेप्टीसीमिया से मौत होने का कारण बताया गया है। बाघ के शरीर में एक दर्जन से अधिक चोंटो के निशान थे। शरीर के कई हिस्सों में गहरे चोंटो के लिए थे। मृतक नर बाघ था, इसकी अनुमानित उम्र 10 वर्ष बताई गई है।
चिड़ियाघर के निदेशक केके सिंह ने बताया कि बाघ को इलाज के लिए लाया गया था। वह गंभीर रूप से घायल था। वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा था। लेकिन उसको बचाया नहीं जा सका। उसके शरीर के घावों को देखकर लग रहा था कि किसी जंगली जीव ने हमला कर घायल किया है। लखीमपुर वन विभाग को बाघ की मौत की सूचना देदी गई है।