रामनगर में शिक्षा का अवैध व्यापार: बिना मान्यता स्कूलों का बोलबाला,शासन मौन

रामनगर (बाराबंकी) संदेश महल
क्षेत्र में एक बार फिर बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों का संचालन तेज़ी से बढ़ने लगा है। शासन-प्रशासन के नियमों की खुलेआम अवहेलना करते हुए ये विद्यालय अभिभावकों की मेहनत की कमाई पर डाका डाल रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई ऐसे स्कूल हैं जिनकी मान्यता केवल कक्षा 5 तक की है, लेकिन वे धड़ल्ले से कक्षा 8 तक की पढ़ाई करवा रहे हैं। वहीं कुछ विद्यालय, जिन्हें केवल कक्षा 8 तक की मान्यता प्राप्त है, वे अवैध रूप से इंटरमीडिएट स्तर तक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
सन 2024 में जब शासन ने इन विद्यालयों पर शिकंजा कसना शुरू किया था, तो कई संचालक अपने स्कूलों को बंद कर फरार हो गए थे। परंतु वर्तमान समय में एक बार फिर से यह धंधा सक्रिय हो चुका है।
चिंताजनक बात यह है कि इन स्कूलों में नियुक्त शिक्षक न तो प्रशिक्षित हैं और न ही उनके पास आवश्यक शिक्षण योग्यताएं हैं। कुछ मामलों में इंटरमीडिएट पास लोग इंटर की कक्षाओं को पढ़ा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है।

पुस्तक विक्रेताओं और प्रबंधकों की सांठगांठ

इन अवैध विद्यालयों में पुस्तक विक्रेताओं और स्कूल प्रबंधकों की सांठगांठ से मोटा कमीशन वसूला जा रहा है। यही कारण है कि ये लोग इन विद्यालयों को हर हाल में चलाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

फर्जी प्रमाणपत्र और टीसी की धोखाधड़ी

कई अभिभावकों ने बताया कि जब उन्होंने अपने बच्चों की टीसी और मार्कशीट मांगी, तो जो दस्तावेज उन्हें प्राप्त हुए, वे किसी अन्य विद्यालय के नाम से थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि मान्यता न होने के कारण, इन स्कूलों के छात्र परीक्षा देने के लिए किसी अन्य विद्यालय के नाम पर पंजीकृत किए जा रहे हैं।

जांच के नाम पर भ्रष्टाचार

जब प्रशासन द्वारा बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों की जांच शुरू हुई, तो जांच दल के कुछ सदस्य कथित तौर पर मामले को ठंडे बस्ते में डालते नजर आए। यही कारण है कि आज तक किसी भी अवैध विद्यालय पर ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी है।

सरकारी विद्यालयों को भारी नुकसान

सरकार बार-बार यह प्रयास कर रही है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाई जाए, लेकिन इन अवैध विद्यालयों के संचालक अभिभावकों को आकर्षक झूठे सपने दिखाकर बच्चों का नामांकन अपने विद्यालयों में करवा रहे हैं। इसका सीधा असर सरकारी विद्यालयों के छात्र नामांकन पर पड़ रहा है, और छात्र संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

जिम्मेदार कौन?

इस पूरे प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। यदि समय रहते ठोस कार्यवाही की जाती, तो ऐसे विद्यालय पहले ही सत्र में बंद हो चुके होते।

आप क्या कर सकते हैं? — हमारी अपील

1. अपने बच्चों के भविष्य से समझौता न करें।
बच्चों का नामांकन केवल सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में ही कराएं। नामांकन से पहले विद्यालय की मान्यता, शिक्षक की योग्यता, और दस्तावेजों की जांच करें।

2. ऐसे स्कूलों की पहचान करें और रिपोर्ट करें।
यदि आपके मोहल्ले या गांव में कोई बिना मान्यता संचालित विद्यालय चल रहा है, तो उसकी सूचना तत्काल बीएसए कार्यालय या जिला प्रशासन को दें। आप RTI (सूचना का अधिकार) के तहत भी जानकारी मांग सकते हैं।

अभिभावकों को जागरूक करें।

आपके एक कदम से पूरे समाज में बदलाव आ सकता है। अपने आसपास के लोगों को बताएं कि बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाना केवल पैसा और समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

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