सूरतगंज बाराबंकी संदेश महल
फतेहपुर वन रेंज के छंगेपुर ढखवा गांव के निकट सुमली नदी किनारे एक बाग में आम के हरे-भरे पेड़ों पर दिनदहाड़े खुलेआम आरा चलाया जा रहा है। ठेकेदारों द्वारा प्रतिबंधित लकड़ी की कटाई और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जबकि हैरानी की बात यह है कि ये सब कुछ वन विभाग की मिलीभगत से हो रहा है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पूरा खेल बीट इंचार्ज महेश कुमार के संरक्षण में चल रहा है। नामचीन ठेकेदारों को जैसे किसी अनुमति की ज़रूरत ही नहीं रह गई। सिर्फ “महेश से मिलिए और प्रतिबंधित पेड़ काट लीजिए” इस इलाके का यह नया दस्तूर बन गया है। जब स्थानीय ग्रामीण या मीडिया कर्मियों द्वारा महेश से सवाल किया जाता है तो हर बार वही रटा-रटाया जवाब—“अभी जानकारी नहीं है तुरंत पहुंचकर जुर्माना करेंगे। क्या इस पूरे अवैध खेल में कार्रवाई सिर्फ जुर्माने तक ही सिमट कर रह गई है? ताज़ा मामले में आम के दो हरे पेड़ों को दिन के उजाले में काट दिया गया, लेकिन विभागीय अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। जब स्थानीय लोगों ने बीट इंचार्ज को सूचना दी तो उन्होंने केवल जुर्माना लगाने की बात कही—मानो यह पेड़ों का व्यापार नहीं, जुर्माने की खान बन चुका हो। फिलहाल सूचना के बाद वन विभाग के द्वारा ठेकेदार मुन्ना को बुलाकर दो पेड़ों पर जुर्माना लगाने की बात कही गई है।
क्या बिना विभागीय मिलीभगत के संभव है यह खेल?
स्थानीय ग्रामीणों का स्पष्ट आरोप है कि यह सब विभागीय अधिकारियों की शह पर हो रहा है। बिना महेश कुमार जैसे जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के इतनी बेशर्मी से कटान संभव ही नहीं है। वन विभाग के नियमों के अनुसार किसी भी पेड़ को काटने से पहले आवेदन, खसरा-खतौनी, और विभागीय जांच आवश्यक है। साथ ही पेड़ फल न देने की स्थिति में ही अनुमति मिलती है। लेकिन यहां तो चंद पैसों की खातिर पूरे नियम और कानून को ताक पर रख दिया गया है।
बड़े अफसर महेश पर मेहरबान क्यों?
यह सवाल अब स्थानीय लोगों की जुबान पर है—आखिर वन विभाग के उच्च अधिकारी महेश पर इतना मेहरबान क्यों हैं? क्या इस अवैध खेल की जड़ें कहीं और गहरी हैं? क्या इससे किसी और की जेबें भी भर रही हैं? जब इस पूरे मामले में हमारे संवाददाता ने जिला वन अधिकारी से दूरभाष पर संपर्क किया गया, तो उनका जवाब था—
डिटेल्स भेजिए, मौके पर टीम भेजकर कार्रवाई करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि जब मामला दिनदहाड़े सामने आ चुका है, तो क्या अब भी ‘डिटेल्स’ का इंतजार किया जाएगा? फिलहाल आम के बेशकीमती पेड़ों की कटाई जारी है, और विभाग अपनी आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है।