रिपोर्ट
हिमांशु यादव
मैनपुरी संदेश महल समाचार
मैनपुरी शहर से आगरा की ओर बढ़ते ही ब्रह्मदेव मंदिर के समीप संतलाल राइस मिल से निकले पानी की वजह से तालाब बन चुका है। सुबह से ही विदेशी परिदे तालाब के पानी में अठखेलियां करते हैं तो उनके कलरव से आसमान और धरा पुलकित होती रहती है। पक्षियों की एक साथ आसमान में उड़कर पानी में उतरने की कला भी दिल को मोहने वाली होती है।
विदेशी परिदों के दिल मोहने वाले ऐसे ही मैनपुरी जिले के समान, पनवा के अलावा दूसरे नमी वालों क्षेत्रों में दिखने लगे हैं। सर्दी का मौसम शुरू होते ही विदेशी पक्षी आने लगे हैं। इन मेहमान पक्षियों ने शहर के तालाबों, पोखरों और नदियों को ठिकाना बना कर लिया है। इससे नदियां और तालाब गुलजार हो गए हैं। यह पक्षी हजारों मील की उड़ान तय कर आते हैं। शहर के समीप तालाब पर ऐसे पक्षी बहुतायत में दिखने लगे हैं इस समय में यूरोप, साइबेरियन, कजाकिस्तान, रूस और मंगोल आदि देशों में तापमान शून्य के काफी नीचे चला जाता है। इसके चलते जमकर बर्फ गिरने लगती है। जनजीवन भी अस्त- व्यस्त हो जाता है। तापमान में गिरावट होने के कारण वहां के पक्षी भारत की ओर रुख कर लेते है। 15 नवंबर से ही विदेशी पक्षियों के झुंडों का भारत आना शुरू हो जाता है।इन पक्षियों में साइबेरियन क्रेन,ब्लैक हैडिड गुल, सिलिडर हेडिड गुल,पुस्पेड डक,पोचार्ड,गूज और विजिटिग डक आदि शामिल होते हैं। यह पक्षी चार महीने तक भारत में ठहरते हैं। ये जोड़ों में आते हैं,प्रजनन प्रक्रिया करते हैं और बच्चे के जन्म के बाद उनके साथ ही 15 मार्च तक वापसी का रुख करते हैं। डीएफओ अखिलेश पांडेय ने बताया कि कई देशों में पारा शून्य से भी कम होने के कारण हर साल सर्दियों के मौसम में विदेशी पक्षियों के आने की शुरुआत हो जाती है। इसके चलते शहर के कई तालाबों और झीलों में विदेशी पक्षियों के झुंड देखे जाने लगे हैं। 10 फीसद हो जाते हैं शिकार इन पक्षियों की तासीर गर्म होने के कारण शिकार करने वाले भी सक्रिय हो जाते हैं। निगरानी की कमी होने के कारण लगभग 10 फीसद पक्षियों का शिकार कर लिया जाता है। हालांकि, इन पक्षियों के शिकार पर पूरी तरह से पाबंदी है। समान के आसपास तो सोना पतारी का सर्वाधिक शिकार होता रहा है। इसको लेकर पूर्व में मुकदमे भी दर्ज हुए हैं। मैनपुरी में सर्वाधिक वेटलैंड जिले में सर्वाधिक नमी वाले क्षेत्र हैं, इसलिए विदेशी परिदे यहां ज्यादा आना और रहना पसंद करते हैं। ऐसे वेटलैंड किशनी के समान, कुरावली के पनवा, करहल के अलावा घिरोर और जागीर आदि क्षेत्रों में हैं।