संवेदनहीनता की हो गई हद परिजन ठेलिया से ले गए शव

रिपोर्ट
दियंश कुमार
लखीमपुर-खीरी संदेश महल समाचार

जिला अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले डॉक्टर के महिला को मृत घोषित करने के बाद एंबुलेंस कर्मी उसका शव जमीन पर छोड़कर चलता बना, जिसके बाद घरवालों को मजबूरन ठेली पर महिला का शव ले जाना पड़ा।
काशीराम कॉलोनी निवासी नईमुन पत्नी नाजिर की मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। इस पर घरवालों ने 108 पर फोन पर एंबुलेंस बुलाई और उससे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। बताते हैं कि परिजनों के कहने पर देखने पहुंचे ईएमओ डॉ. अखिलेश कुमार एंबुलेंस में ही महिला को देखकर मृत घोषित कर दिया। इस पर एंबुलेंस स्टाफ महिला का शव इमरजेंसी के सामने जमीन पर लिटाकर चला गया। इस पर परिजन शव ठेलिया से ले जाने को विवश हो गए। ईएमओ डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि मरीज के एक साथ एक महिला रोती हुई आई थी। इसलिए एंबुलेंस में जाकर ही महिला को देखा, जिसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद फिर से ओपीडी के लिए इमरजेंसी आ गया। उन्होंने बताया एंबुलेंस स्टाफ का शव जमीन पर छोड़कर जाना गलत है। स्ट्रेचर पर रखवाकर जाना चाहिए था।
शव ठेली से ले जाने की सूचना नहीं है। एंबुलेंस स्टाफ यदि शव जमीन पर छोड़ गया था तो शव वाहन के लिए परिजनों को हमें फोन करना चाहिए था। इमरजेंसी में शव वाहन चालकों के नाम और नंबर लिखे हुए हैं।
-डॉ. आरसी अग्रवाल, सीएमएस जिला अस्पताल
मामले की जानकारी नहीं है। यदि महिला की मौत हो गई थी तो उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर जाना चाहिए था। इस तरह जमीन पर छोड़कर जाना गलत है। जानकारी कर कार्रवाई की जाएगी।
-संजय पांडे, ईएमई 108 एंबुलेंस
मरीज की डॉक्टर ने खून देकर बचाई जान
लखीमपु्र खीरी। मरीज के लिए डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं है। इसकी हकीकत मंगलवार को उस समय देखने को मिली जब एक डॉक्टर ने अपने मरीज की जान बचाने के लिए अपना खून दे दिया। सीतापुर जिले के गांव मुसियाना निवासी 75 वर्षीय मैकिन की हालत खराब होने पर घर वाले उन्हें लेकर शहर के एक निजी अस्पताल पहुंचे थे। जहां मरीज की हालत देखकर डॉ. अंशुल गुप्ता ने उसे खून चढ़वाने की सलाह दी। मगर ब्लड बैंक में संबंधित ग्रुप का रक्त न मिलने से घरवाले परेशान हो उठे। इस पर डॉक्टर अंशुल ने मरीज को अपना खून देेने की पेशकश की, और अपना रक्त देकर मरीज की आंतों का सफल आपरेशन कर जान बचाई।