…..तुमने जला के दिल मेरा काजल बना दिया

रिपोर्ट
जेपी रावत
लखनऊ संदेश महल समाचार

सुप्रसिद्ध साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था “लक्ष्य” संस्था के तत्वावधान में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध ओज कवि श्री सिद्धेश्वर शुक्ल “क्रान्ति”, मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ अजय प्रसून, विशिष्ट अतिथि गीतकार श्रीमती प्रियंका अग्निहोत्री वाराणसी रहीं। वाणी वंदना भारती अग्रवाल पायल द्वारा की गई।कवि सम्मेलन का संचालन हास्य कवि गोबर गणेश द्वारा किया गया।
कवि सम्मेलन का प्रारम्भ युवा कवयित्री सुश्री युक्ति श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

कुछ बोलते हैं मुरझाए पत्ते भी,
सिमटे,
सिकुड़े, संकुचित भाषा में,
अपना दुख बतलाते हैं।

इसके पश्चात श्रृंगार की युवा कवयित्री सुश्री शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ द्वारा यह कविता सुनाकर लोगों की वाहवाही लूटी-

आपके ही सपनों में , खोई-खोई ही रहूं मैं,
प्यार की बहार दे के, मुझको निखार दो।।

जाने माने वरिष्ठ हास्य व्यंग्य व श्रृंगार के कवि पण्डित बेअदब लखनवी ने श्रृंगार व हास्य मिश्रित अपनी गज़ल पढ़कर सभी को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया।

कितनी मोहब्बतों से दिया था तुम्हें मगर,
तुमने जला के दिल मेरा काजल बना दिया,
तीर ए नज़र से आपने घायल बना दिया।

कवि सम्मेलन का सफल संचालन कर रहे हास्य कवि गोबर गणेश ने आज की राजनीति पर यह कविता पढ़ी :-

हम एम. एल. ए. का पर्चा भर कर देखेंन,
कलुआ लठैत के साथ चार चार लठैतन के साथ खड़ा देखेंन,
पर्चा जब वापस नहीं लीन
कलुआ के लठैत हमार हाथ पैर तोड़ कर रख दीनहीन,
हम अपने का हारत देखेंन,
कलुआ लठैत‌ जीतत देखेंन,
वाह रे राजनीति के दलदल,
बाप रे बाप…….।

इसके पश्चात व्यंग्यकार कवि मनमोहन बाराकोटी “तमाचा लखनवी” ने अपने कुछ मुक्तकों एवं गीतों के साथ धर्म-कर्म पर यह दोहा पढ़ा।

बोलने में भली लगे, धरम-करम की बात।
करनी भी वैसी करो, समझूं तब औकात।‌।

कवि सम्मेलन की वाणी वंदना कर चुकी श्रीमती भारती पायल ने यह कविता सुनाई :-

तुमने समझा कि वही बात पुरानी लिख दी,
पीर औरों की सुनी अपनी जुबानी लिख दी।

इसके पश्चात सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवयित्री रेनू वर्मा ने यह सुंदर गजल सुनाई।

यूं ही बेवजह मुस्कराना अब हमसे नहीं होगा।
टूटकर हर बार जुड़ जाना
अब हमसे नहीं होगा।

कवि सम्मेलन की विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रियंका अग्निहोत्री बनारस ने यह सुंदर गीत सुनाया।

मैं की तलाश में मेरा अस्तित्व जाने
कैसे कहां गुम हो गया।

कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि गीतकार डॉ अजय प्रसून ने सत्य और झूठ पर यह कविता सुनाई।

अपनी अपनी सोच पर सबका है अधिकार,
कहें झूठ को झूठ हम या दें सत्य नकार।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे श्री सिद्धेश्वर शुक्ल “क्रान्ति” ने ओजपूर्ण गीत सुनाया।

हम निरंतर घुटन की जिंदगी जीते रहे।
मजबूर होकर हम जहर का घूंट पीते रहे।

अंत में‌ आए हुए कवियों का धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष मनमोहन बाराकोटी ने किया।