गलियों में जगह-जगह बिखरी गंदगी,शौचालय बनें शो पीस आदर्श गांव भरतपुर

रिपोर्ट
पंकज शाक्य
संदेश महल समाचार मैनपुरी

ग्राम पंचायत भरतपुर को आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त है। लेकिन गांव में आदर्श जैसी कोई भी सुविधा नहीं है। गांव की गलियों में कचरा और कीचड़ फैला हुआ है।

सफाई को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है। गांव से पानी की निकासी की व्यवस्था व नालियों की सफाई न होने के कारण जगह-जगह गड्ढों में गंदा पानी व प्लास्टिक की थैलियां भरी नजर आ रही है। इससे मच्छर पैदा होने व बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के विकास खंड कुरावली अंतर्गत ग्राम पंचायत भरतपुर को
आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में चयनित किए जाने के बाद लोगों ने कस्बे के विकास को लेकर कई सपने देखे लेकिन एक भी साकार नहीं हुआ।गलियों में गंदगी व बदबू के कारण चलना भी दुभर हो गया है।

मुख्य मार्गों पर जलभराव की समस्या है। आज भी आदर्श गांव में बैंकिंग सेवा नहीं है। ग्राम पंचायत आज भी अधिकांश सुविधाओं से वंचित है। विकास के नाम पर कुछ नहीं है।
आदर्श गांव में स्ट्रीट लाइटें लगी हुई है। किंतु रोशनी नहीं देखने को मिलती।रात को सड़कों पर चलने से राहगीर चोटिल हो रहे है। वहीं ग्राम पंचायत मुख्यालय से निकलने वाले सभी सड़कें जगह-जगह से टूटी और गड्ढों में बदली नजर आती है। भले ही शासन द्वारा ग्राम भरतपुर को आदर्श घोषित कर दिया गया हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में स्वच्छता मिशन के दौरान बनाए जा रहे सामुदायिक शौचालय में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है।भारतपुरा को शासन द्वारा कुरावली ब्लॉक की आदर्श ग्राम पंचायत घोषित किया गया है इसके लिए शासन द्वारा ग्राम के विकास के लिए अतिरिक्त धनराशि दी गई है। लेकिन वास्तविकता इससे हटकर है।
संदेश महल समाचार पत्र संवाददाता द्वारा गांव का जायजा लिया गया तो हकीकत हजारों मील दूर नज़र आई।


बात करते हैं निर्माण कराए जा रहे सामुदायिक शौचालय का तो ग्रामीणों का कहना है,कि शौचालय में नीव से लेकर निर्माण तक मानक विहीन घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है। ग्राम की साफ-सफाई का आलम यह है कि था जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं।सफाई कर्मी महीने में एक बार ही आता है। जिसके कारण गंदगी बनी रहती है। संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना हुआ है।

स्वच्छता मिशन के तहत रखे गए कूड़े के डिब्बे ही कचरा बने हुए हैं। जिनको ग्राम से दूर जंगल में फेंक दिया गया है। पेयजल और स्वच्छता,शिक्षा,स्वास्थ्य एवं पोषण,समाज सुरक्षा,ग्रामीण सड़कें व आवास,विद्युत व स्वच्छ ईधन,कृषि पद्वति, वित्तीय समावेशन,डिजीटलीकरण एवं जीवन यापन और कौशल विकास की बात करना ही यहां बेइमानी है।

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