रिपोर्ट
प्रवीन कुमार
मैनपुरी संदेश महल समाचार
शहीद मेला में शहीदों की याद में एक फरवरी से 10 फरवरी तक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। शहीद मंच पर होने वाले कार्यक्रमों की तिथियां तय कर दी गई हैं। शहीद मेला मंच पर सात से 11 फरवरी तक रासलीला का भी आयोजन किया जाएगा।
अधिशाषी अधिकारी दुर्गेश कुमार सिंह ने बताया शहीद कि मेला में निम्नलिखित कार्यक्रम होंगे।
1- फरवरी दोपहर 12 बजे से साक्षरता सम्मेलन, बैडमिंटन प्रतियोगिता।
2- फरवरी को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम।
3- फरवरी को रक्त महादान शिविर, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
4- फरवरी को विराट दंगल, शहीद मंच पर महाकवि देव स्मरण चौरीचौरा कांड पर चर्चा शरीर सौष्ठव प्रतियोगिता।
5- फरवरी को पत्रकार सम्मेलन, कपिल मुनि महाविद्यालय द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, सीनियर नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
6- फरवरी को जीएसएम महाविद्यालय द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, रात को विराट कवि सम्मेलन।
7- फरवरी को शीला देवी स्मृति इंटर कॉलेज जोगा मोड़ द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम सात फरवरी से 11 फरवरी तक शाम छह बजे से रासलीला आयोजित किया जाएगा।
8- फरवरी को वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह।
9- फरवरी को बाल भारती हायर सेकेंडरी स्कूल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम।
10- फरवरी को सांस्कृतिक कार्यक्रम गौतम बुद्ध विद्यालय हजारा द्वारा, 10 और 11 फरवरी को वॉलीबाल प्रतियोगिता होगी।
11- फरवरी को पुरस्कार वितरण के साथ शहीद मेला का समापन।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा’
शहीदों के सम्मान में कही गईं ये चंद लाइनें मैनपुरी जिले के तहसील मुख्यालय बेवर में हर साल हकीकत बनती हैं। यहां के शहीद मंदिर में स्वतंत्रता के 26 रणबांकुरों (इनमें पांच ने आंदोलन में जान न्यौछावर की) की प्रतिमाएं हैं। यहां हर वर्ष शहीद मेला लगता है।
15 अगस्त, 1942 को बेवर में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत जुलूस निकालकर तिरंगा फहराया गया था। इस प्रयास में पुलिस की गोली से बेवर नगर के सपूत जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्त और कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नारायण त्रिपाठी घायल हुए थे। तब वे 16 वर्ष के थे। आजादी के बाद जगदीश नारायण त्रिपाठी ने वर्ष 1971 में शहीद मंदिर बनाया। इसमें 1942 के तीनों शहीद, मशहूर स्वतंत्रता सेनानी पं. गेंदालाल और बेवर के आसपास के 26 स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की गईं हैं।
1972 से मेला आयोजित किया जाता है, जो 10 फरवरी तक चलता है। राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर तिरंगा यात्रा निकाली जाती है। मेले में ‘एक शाम शहीदों के नाम’ के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को सम्मानित किया जाता है। इसके साथ ही हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है।
देश की कई बड़ी सियासी हस्तियां भी अपने शीश नवा चुकी हैं। यहां राहुल गांधी,सांसद राजबब्बर,दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया आदि भी आ चुके हैं। वर्ष 2005 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव यहां शहीद मेले में शामिल हुए थे। तब उन्होंने मेले को दो लाख रुपये की मदद दी थी और मेले को व्यापक रूप देने की बात भी कही थी। हालांकि, इसके बाद किसी सरकार ने मेले के प्रचार-प्रसार आदि के लिए प्रयास नहीं किया।
स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान होने वाले: पं. गेंदालाल दीक्षित, जमुना प्रसाद त्रिपाठी, विद्यार्थी कृष्ण कुमार, सीताराम गुप्त, कुंवर देवेश्वर तिवारी।
स्वतंत्रता सेनानी इनमें अब कोई जीवित नहीं है।जगदीश नारायण त्रिपाठी, गया प्रसाद भारद्वाज, बाबूराम गुप्ता, नाथूराम दीक्षित, मदन मोहन, विशंभर दयाल सक्सेना, प्रो. चितामणि शुक्ला, लाला सतीश प्रसाद, परशुराम पांडे, रामनारायण आजाद, बाबूराम पालीवाल, शिव बरन लाल, हीरा लाल दीक्षित, मुंशी सिंह, करोड़ी लाल गुप्ता, स्वामी सर्वानंद सरस्वती, श्याम सुंदर लाल गुप्ता, बाबूराम झा, बाबूराम दीक्षित, देव स्वरूप नंबरदार, रामस्वरूप गुप्त है।