रिपोर्ट
जेपी रावत
संदेश महल समाचार
विद्यालय संस्कृति को छिपी हुई पाठ्यचर्या’ का नाम दिया गया है। जहां विद्यार्थियों की शब्दावली का निर्माण होता है। विद्यार्थी अवचेतन मन से विद्यालय की संस्कृति और व्यवहार की अपेक्षाओं को अपने मे समाहित करते हैं,जो उनके सीखने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
परिवर्तन का नेतृत्व करने की क्षमता की परिकल्पना करना सीखने के नेतृत्व करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह इकाई विद्यालय की सीखने की संस्कृति और नेतृत्व के बारे में सोचना समाज और समाजिक दायरे को मजबूत करता है।
किंतु यदि शिक्षक ही धूर्त और सामाजिक सरोकारों से परे हो तो विद्यालय और विद्यार्थियों के भविष्य का निर्माण किस प्रकार विकसित होगा यह बताने की जरूरत नहीं है।
वाक्या सुबह 10 बजकर 30 मिनट का है।जब एक पत्रकार विद्यालय में विद्युत कनेक्शन की जानकारी कबरेज करने शिक्षा क्षेत्र सूरतगंज के प्राथमिक विद्यालय रूहेरा पहुंचा तो वहां का नजारा ही कुछ अलग दिखा। सहायक अध्यापक विवेक कुमार मौजूद रहे। वहीं प्रधानाचार्या शालिनी गुप्ता लापता दिखी।
पत्रकार द्वारा जानकारी करने पर टालमटोल को ही बताया गया।
कुछ समय पश्चात संकुल शिक्षक नोडल संजय कुमार सहायक अध्यापक विवेक कुमार के फोन के माध्यम ने तो हद ही कायम कर दी,और एक ही लय में फटकार की झड़ी लगाते हुए विद्यालय से सीधे निकल जाओ का फरमान भी जारी कर दिया। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर काम के दौरान बढ़ रही घटनाओं और अभद्रता पर उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिहाज के पक्षधर हैं। वहीं इस तरह के शिक्षकों की पोल पट्टी की पटकथा खुलने के डर ने सीधे अभद्रता पर ही उतर आए।अब बात करते हैं सीधे मुद्दे की जिसमें कुछ ग्रामीणों द्वारा शंकुल शिक्षक नोडल की उपस्थिति के विषय पर पता चला कि श्री महोदय तो मर्जी के मालिक हैं। उनके कार्य श्रेत्र में अध्यापकों की तो बल्ले-बल्ले है।स्वयं तो विद्यालय आते नहीं है और अध्यापकों के सिर पर हाथ फिर क्या बताने की जरूरत नहीं है। जिसका ज्वलंत उदाहरण प्राथमिक विद्यालय रुहेरा में तैनात शिक्षिका शालिनी गुप्ता है।
कुछ इस तरह के संकुल शिक्षक नोडल ने शिक्षा विभाग का नाम तो मिट्टी में ही मिला कर रख दिया है।
गौरतलब हो कि अब देखना है खंड शिक्षा अधिकारी इस तरह से लापरवाही बरतने वालों के विरुद्ध किस तरह की कारवाई करते हैं या फिर अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत को चरितार्थ करते रहेंगे।