मैनपुरी में तैनात इंस्पेक्टर के कारनामें निराले, एसपी ने की कार्रवाई शासन ने रोका प्रमोशन

 

रिपोर्ट
जेपी रावत
कार्यालय संदेश महल समाचार

उत्तर प्रदेश पुलिस क्या न कर गुजरे, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसके तो कारनामें ही निराले हैं। ऐसा ही एक मामला जनपद एटा से सामने आया है। दिव्यांग और एटीएम से रुपये निकाल रहे दो लोगों को अलीगंज कोतवाली प्रभारी ने शस्त्र फैक्टरी चलाने के आरोप में भागा हुआ दिखा दिया। जांच में राज खुला तो यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि यह सब राजनीतिक दबाव में किया गया है। एसएसपी ने इंस्पेक्टर को प्रतिकूल और निंदा प्रविष्टि दी है।
गौरतलब हो कि तत्कालीन थाना अलीगंज प्रभारी सतीश कुमार की ओर से शस्त्र फैक्टरी चलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में मंतोष उर्फ अवधेश,रमावीर, रामसनेही,विवेक,अनूप,राजू और करु को आरोपी बनाया गया।मामले की निष्पक्ष जांच के लिए मंतोष के भाई परतोष निवासी ग्राम जहान नगर थाना राजा का रामपुर ने डीजीपी से गुहार लगाई। जब वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच पड़ताल की तो मामला झूठा निकला। जिस रामवीर को पुलिस ने भागा दिखाया वह दिव्यांग है, वहीं मंतोष उर्फ अवधेश घटना के समय चालीस किलोमीटर दूर जनपद फर्रुखाबाद के कायमगंज में एटीएम से रुपये निकाल रहा था। इसके साक्ष्य वहां के सीसीटीवी कैमरे में मिले हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने क्षेत्राधिकारी और एएसपी की जांच के आधार पर तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अलीगंज सतीश कुमार को प्रतिकूल प्रविष्टि और निंदा प्रविष्टि दी है। वहीं इसकी जानकारी एसपी मैनपुरी को भेजी गई है। इंस्पेक्टर वर्तमान में मैनपुरी में तैनात हैं और उनकी ट्रेनिंग गाजियाबाद में चल रही है।शासन ने प्रमोशन भी फिलहाल रोक दिया है।
अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने अक्तूबर 2020 में अपनी जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी। इसमें कहा गया कि दोनों ही मामलों की जांच में प्रभारी निरीक्षक सतीश कुमार दोषी पाए गए हैं। उन्होंने जांच में यह तथ्य भी उल्लेखित किया कि प्रभारी निरीक्षक द्वारा राजनीतिक सत्ता पक्ष के दबाव में मनमाने तौर पर दोनों को नामजद कर पुलिस की छवि को धूमिल किया गया है। इससे पूर्व सीओ सकीट ने भी मामले की जांच की और इंस्पेक्टर को दोषी पाया।

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