रिपोर्ट
प्रताप सिंह
मथुरा संदेश महल समाचार
किसी भी जनप्रतिनिधि को जनता बड़े ही उम्मीदों के साथ केवल इसलिए चुनती है। कि वह उनके ग्राम, नगर व क्षेत्र आदि का बिना किसी भेदभाव के समग्र विकास कराएंगे परन्तु छाता कस्बे में खुद नगर पंचायत अध्यक्ष विकास कार्यों में अवरोध बने हुए है। जिसका सीधा असर कस्बे के विकास कार्यों पर पड़ रहा है। अगस्त माह में 14 वी तथा 15 वे वित्त आयोग के तहत धनराशि के प्रयोग हेतु सितंबर माह में एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें जिलाधिकारी मथुरा द्वारा कराए जाने वाले कार्यो को स्वीकृति दी गई जिसमें अधिकारी अधिशासी द्वारा अक्टूबर माह में विकास कार्यों से संबंधित ही निविदा आमंत्रित की गई। तीसरी ई निविदा आमंत्रण के उपरांत ई निविदा कोरम पूर्ण होने के पश्चात ही निविदा की तकनीकी एवं वित्त खोली गई और एल – 1 ठेकेदारों को ई निविदा अवार्ड की गई परंतु नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा आज दिनांक 16 मार्च तक पत्रावलियों में निविदा स्वीकृत ना किए जाने के कारण विकास कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं। जबकि धनराशि खर्च करने की समय सीमा 31 मार्च 2021 को खत्म होने जा रही है। आज तक नगर पंचायत अध्यक्ष के अनुमोदन ना मिलने के कारण नगर में होने वाले विकास कार्य रुके हुए हैं। इन विकास कार्यों में पुराना जीटी रोड पर तथा अन्य स्थानों पर होने वाला नाला निर्माण कार्य तथा इंटरलॉकिंग आदि कार्य शामिल हैं। वही देखने वाली बात यह है। कि भारी दबाव के कारण नगर पंचायत अध्यक्ष ने कुल 7 पत्रावलियों में से केवल दो पर ही अपने हस्ताक्षर किए हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष के तानाशाही रवैया के कारण बोर्ड के सभासदों द्वारा शिकायती पत्र अधिशासी अधिकारी एवं उच्च अधिकारियों को भी प्रेषित किया गया है। जिसमें उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष पर बोर्ड की बैठक को ना बुलाने का आरोप लगाया है। जिससे छाता कस्बे के विकास कार्यों पर चर्चा नहीं हो पाती है। जबकि शासनादेश के अनुसार प्रत्येक माह बोर्ड बैठक बुलाये जाने का भी प्रावधान है। जिसकी धज्जियां नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा खुलेआम उड़ाई जा रही है। जिसकी वजह से नगर पंचायत के सभाषदों में भारी रोष व्याप्त है।
पीड़ित सभासदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के इस तानाशाही रवैये की शिकायत नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन और नगर विकास राज्य मंत्री महेश गुप्ता से किये जाने का मन बनाया है।