फसल चौपट किसान हुए प्राकृतिक आपदा के शिकार

 

रिपोर्ट
रामकुमार मौर्य
बाराबंकी संदेश महल समाचार

किसान पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक आपदा के दंश को झेल रहा है। कभी किसान को सूखे ने बर्बाद किया तो कभी फसल तैयार होने के समय अतिवृष्टि ने। हर बार की तरह इस बार भी किसान अच्छी पैदाबार की उम्मीद लगाए था। समय पर बारिश न होने से किसान परेशान रहा। बाद में जब बारिश हुई तो किसान प्रसन्न हो उठा, लेकिन किसान की यह प्रसन्नता उस समय काफूर हो गई जब लगातार बारिश होने से किसानों की फसल चौपट हो गई।बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। किसान प्राकृतिक आपदा का सामना करता चला आ रहा है। इस बार भी मौसम के बदले मिजाज के चलते किसान फसल पैदा होने की आस छोड़ दी है।

अत्यधिक बारिश से धान की फसल हुई चौपट

रुक रुक के वर्षा के कारण किसानों की धान की फसल बिल्कुल चौपट हो गई है पूरे क्षेत्र का किसान परेशान हैं। धान की बेरन से लेकर रोपाई तक किसान खेतों में रखवाली करता चला आ रहा है आज जब धान की फसल तैयार हो गई है तो खेतों में इतना पानी भरा है कि धान के पौधे पानी में डूब गए हैं। इसके अलावा गन्ने को भी नुकसान हुआ है।गन्ने की फसल बिल्कुल तैयार नहीं थी वह भी पानी में डूब गई है। किसानों का कहना है, कि हम लोग बीज खाद इतना महंगा लेकर खेत में बुवाई करते हैं। किंतु तमाम तरह के दंश झेलने के बाद अब हम लोग टूट से गए हैं। यदि फसल तैयार भी हो गई है तो जानवरों से उनकी रखवाली करते हैं। जब फसल तैयार होने को होती है तो दैवीय आपदा आ जाती जिससे हम लोगों की फसल हर बार नष्ट हो जाती है। इस बार वर्षा अधिक होने के कारण खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है। जिससे धान व गन्ने की फसल पूरी तरह से प्रभावित हो गई है गेहूं की फसल भी अच्छी नहीं हुई थी।इस बार भी गेहूं सरसों पिपरमिंट आलू जैसी फसलें भी आने वाले समय में लगता है कि बोने को नहीं मिलेंगी क्योंकि जिन खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है उन खेतों में धान की फसल भी काटने में दिक्कत हो रही है। अगली फसल किस प्रकार ली जाएगी ऐसे स्थिति में किसानों की हालत दयनीय हो गई है। बुवाई के समय खाद बीज महंगे हो जाते हैं। वहीं क्षेत्र में बची फसलों को खुलेआम घूम रहे छुट्टा जानवर चट कर रहे हैं।

 

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