बढ़ती आबादी के साथ सीतापुर की बदलती तस्वीर

सीतापुर संदेश महल समाचार
समय का पहिया जब तेजी से घूमता है तो बदलाव की आहट हर गली, हर गांव और हर इंसान की जिंदगी में सुनाई देती है। सीतापुर जनपद ने भी बीते सात दशकों में बदलाव की ऐसी ही कहानी रची है — कभी 13.8 लाख की शांत आबादी वाला यह जिला आज करीब 57 लाख लोगों की उम्मीदों और संघर्षों का केंद्र बन चुका है। आंकड़े भले चिंता का विषय हों, परंतु इन आंकड़ों के पीछे एक उभरते हुए ज़िले की मेहनत, विस्तार और जागरूकता की छाया भी झलकती है।

सिर्फ भीड़ नहीं, बढ़े हैं मौके भी

1951 में जहां तहसीलों की संख्या मात्र चार थी, वहीं आज सात तहसीलें प्रशासनिक विस्तार का संकेत देती हैं। शिक्षा का नक्शा भी बदला है — प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक के संस्थानों की संख्या 609 से बढ़कर 5000 हो गई है। इससे यह समझा जा सकता है कि ज्ञान की रोशनी अब ज़िले के हर कोने तक पहुँच रही है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विकास हुआ है। जहां 1951 में महज़ 106 पंजीकृत चिकित्सक और 203 वैद्य-हकीम थे, वहीं अब 66 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 19 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज़िले को स्वास्थ्य की नई पहचान दे रहे हैं। पुलिसिंग के मामले में पांच थानों वाला सीतापुर अब 28 थानों और 109 चौकियों से सुरक्षित और सतर्क नजर आता है।

दरी उद्योग: हुनर से वैश्विक पहचान

सीतापुर के दरी उद्योग की कहानी विकास और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। 1960 में शुरू हुआ यह काम शुरुआत में केवल स्थानीय सीमाओं में सिमटा था, लेकिन खैराबाद निवासी हाजी जलीस अंसारी जैसे लोगों के प्रयासों से यह सीमाएं टूट गईं। 1980 में पहला बड़ा ऑर्डर लाकर सीतापुर को दरी उद्योग में पहचान दिलाई गई। आज ज़िले में करीब 250 इकाइयां चल रही हैं और दो लाख से अधिक बुनकर इस कला से आजीविका अर्जित कर रहे हैं। आठ प्रमुख निर्यातक आज सीतापुर की दरियां 60 से अधिक देशों में भेज रहे हैं — जिन पर हाथी, शेर, फूल, धार्मिक स्थल जैसे पारंपरिक डिजाइन उकेरे जाते हैं।

आंख का अस्पताल: झोपड़ी से चिकित्सा की बुलंदी तक

1926 में एक झोपड़ी से शुरू हुआ सीतापुर का नेत्र चिकित्सालय आज चिकित्सा की दृष्टि से एशिया के प्रमुख संस्थानों में गिना जाता है। डॉ. महेश प्रसाद मेहरे के नेतृत्व में शुरू हुआ यह अस्पताल 1945 में एक ट्रस्ट द्वारा भवन निर्माण के साथ स्थायी रूप में सामने आया। उस समय की 192 सामान्य और 37 निजी वार्ड क्षमता आज बढ़कर 600 सामान्य वार्ड और 200 निजी वार्ड तक पहुंच गई है। न केवल ज़िला मुख्यालय, बल्कि उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी इस संस्थान की शाखाएं स्थापित हो चुकी हैं। यह केवल अस्पताल नहीं, बल्कि उम्मीद की रोशनी है।

परिवार नियोजन में जागरूकता का बढ़ता ग्राफ

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सीतापुर की जनसंख्या भले तेज़ी से बढ़ी हो, लेकिन जागरूकता के स्तर पर भी सुधार हुआ है। परिवार नियोजन के लिए नसबंदी, कॉपर-टी, और अंतरा इंजेक्शन जैसे उपायों को लोग स्वेच्छा से अपना रहे हैं।

वर्ष महिला नसबंदी पुरुष नसबंदी प्रसव पश्चात कॉपर-टी अंतरा इंजेक्शन

2022-23 7229 05 17179 10775
2023-24 7245 16 25622 17351
2024-25 8151 31 26043 27799

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि जहां एक ओर जागरूकता बढ़ी है, वहीं समाज में महिला स्वास्थ्य और प्रजनन नियंत्रण के प्रति सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

समाप्ति की ओर, एक नई शुरुआत की आशा

सीतापुर की यह यात्रा सिर्फ एक जिले की भौगोलिक और प्रशासनिक वृद्धि की कहानी नहीं है, बल्कि यह जनमानस की जिजीविषा, परंपरा और प्रगति के सम्मिलन की मिसाल है। जहां अतीत की झोपड़ी आज अस्पताल बन गई है, और जहां स्थानीय बुनकरों के हाथों से निकली दरियां आज विश्वपटल पर सीतापुर का नाम रौशन कर रही हैं — वहीं यह ज़िला आने वाले कल की बुनियाद भी आज ही रख रहा है।
आंकड़े बदलते रहेंगे, पर सीतापुर की आत्मा में बसी मेहनत, हुनर और उम्मीद की यह कहानी हर दशक को सुनाई देती रहेगी।

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