हैदरगढ़ बाराबंकी संदेश महल
तहसील हैदरगढ़ के ग्राम पंचायत रनापुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात दिव्यांग सहायक अध्यापिका दिव्या शुक्ला ने विद्यालय की प्रधानाध्यापिका निरुपमा मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिव्या शुक्ला का आरोप है कि प्रधानाध्यापिका ने उनकी शारीरिक दिव्यांगता को लेकर बार-बार अपमानित किया और उन्हें “लूली”, “अनपढ़”, “नाकाबिल” जैसे शब्दों से संबोधित कर मानसिक उत्पीड़न किया गया।इस प्रकरण में दिव्या शुक्ला ने विद्यालय के समस्त स्टाफ के साथ मिलकर खण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) हैदरगढ़ को विस्तृत लिखित शिकायत सौंपकर प्रधानाध्यापिका के निलंबन की मांग की है। शिकायत में उल्लेख है कि न केवल दिव्या शुक्ला, बल्कि अन्य महिला शिक्षक-शिक्षामित्र मीनाक्षी नारद, किरन सिंह, प्रियंका द्विवेदी, दीपिका मिश्रा, सुमन पाल, राघवेंद्र प्रसाद द्विवेदी भी प्रधानाध्यापिका की अभद्र भाषा, चरित्र पर टिप्पणी और धमकियों का शिकार हुए हैं।शिकायत के अनुसार, प्रधानाध्यापिका द्वारा कई बार शिक्षिकाओं को धमकी दी गई कि वह उनकी नौकरी समाप्त करवा सकती हैं। इससे विद्यालय का संपूर्ण वातावरण तनावपूर्ण हो गया है और स्टाफ के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी हैदरगढ़ विद्यालय पहुंचे और शिकायतकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की। जांच के बाद प्रधानाध्यापिका निरुपमा मिश्रा को चेतावनी दी गई है तथा 7 दिन के भीतर व्यवहार में सुधार लाने का निर्देश देते हुए उनसे लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
हालांकि इस कार्रवाई से विद्यालय स्टाफ असंतुष्ट नजर आ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वर्षों से चले आ रहे दुर्व्यवहार के मामले में केवल चेतावनी पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि यह केवल दिव्या शुक्ला के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि समस्त शिक्षिकाओं के सम्मान और सुरक्षा का भी प्रश्न है।विद्यालय स्टाफ ने जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव पांडेय से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराकर प्रधानाध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए, ताकि भविष्य में किसी शिक्षिका को इस प्रकार की मानसिक प्रताड़ना न झेलनी पड़े।अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या दिव्यांगता और महिला गरिमा के खिलाफ इस प्रकार के असंवेदनशील आचरण पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा, या यह मामला भी चेतावनी की औपचारिकता में सिमट जाएगा?