शिवानी और आदित्य की शादी को तीन साल हो चुके थे। फेसबुक पर उनकी जोड़ी को लोग “मेड फॉर ईच अदर” कहते थे। हर कुछ दिनों में उनकी नई फोटो – हाथों में हाथ, मुस्कुराहटों में लिपटे कैप्शन: “True love never fades…”, “My forever
लोग कमेंट करते –
“Best couple
“Perfect Jodi
“Love goals
लेकिन इन लाइनों के पीछे की कहानी कोई नहीं जानता था।
रियलिटी ये थी कि आदित्य और शिवानी के बीच अब बात तक नहीं होती। बात-बात पर तकरार, ईगो की दीवारें, और एक-दूसरे को समझने की कोशिश लगभग खत्म हो चुकी थी। लेकिन हर बार जब कोई त्योहार आता, या कोई आउटिंग होती, तो दोनों कैमरे के सामने मुस्कुराने लगते।
फोटो खिंचती, फिल्टर लगते, कैप्शन लिखा जाता — और प्रेम का नाटक फिर वायरल हो जाता।
शिवानी की सहेली ने एक दिन पूछा,
“तुम दोनों कितने खुश दिखते हो, कभी झगड़ा नहीं होता क्या?
शिवानी ने हल्की मुस्कान दी, “फोटो में कभी आंसू नहीं दिखते ना…
सच तो ये था कि प्रेम अब सिर्फ फ्रेम में बंद हो चुका था।
जो भावनाएं कभी आँखों में चमकती थीं, वो अब कैप्शन में सिमट गई थीं।
जो स्पर्श कभी सुकून देता था, अब बस कैमरे के लिए था।
एक रात आदित्य ने कहा,
“चलो एक फोटो डालते हैं, कब से कुछ पोस्ट नहीं किया।”
शिवानी ने हल्के स्वर में जवाब दिया,
“क्या उस तस्वीर में हमारी खामोशी दिखेगी? या वो खालीपन जो इन दीवारों में गूंजता है?
दोनों चुप हो गए।
और उस दिन के बाद उनकी कोई नई तस्वीर फेसबुक पर नहीं आई।
लोगों ने सोचा – शायद रिश्ते में कुछ खटास आ गई है।
पर असल में, उस दिन से उनका असली प्रेम शुरू हुआ।
अब वे एक-दूसरे से बात करते थे,
बिना कैमरे के।
बिना कैप्शन के।
बिना लाइक की परवाह किए।
जो प्रेम सच में होता है, वो दुनिया को बताने की ज़रूरत नहीं समझता।
वो आंखों में बसता है, न कि फेसबुक की पोस्ट में।