पिसावां बना झोलाछाप डॉक्टरों का गढ़ जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

पिसावां सीतापुर संदेश महल समाचार
पिसावां थाना क्षेत्र इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों का अड्डा बनता जा रहा है। यहां हर गली-मोहल्ले में बिना किसी मेडिकल डिग्री और प्रशिक्षण के लोग दवाओं की दुकानें चला रहे हैं, जहां न तो इलाज का कोई मानक है और न ही सुरक्षा की गारंटी। मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन प्रशासन केवल खानापूर्ति कर दिखावे के लिए कभी-कभार छापेमारी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है।


कोटरा गांव में हाल ही में हुई बुजुर्ग बाबूराम की मौत इसका ताजा उदाहरण है। मामूली बुखार में एक कथित डॉक्टर द्वारा बिना जांच के ग्लूकोज चढ़ाने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल दर्दनाक है बल्कि प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर करती है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिसावां क्षेत्र में कई ऐसे झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जिनके पास न तो कोई डिग्री है और न ही इलाज का अनुभव। फिर भी वे खुलेआम मेडिकल स्टोर खोलकर इंजेक्शन, दवाएं और ड्रिप चढ़ाने जैसे खतरनाक प्रयोग कर रहे हैं। कई बार इनकी वजह से मरीजों की हालत बिगड़ती है, लेकिन शिकायतों के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम केवल औपचारिकता निभाने के लिए अभियान चलाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद हालात फिर जस के तस हो जाते हैं। न तो दोषियों पर मुकदमे दर्ज होते हैं, न ही लाइसेंस रद्द किए जाते हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और विकल्पहीनता बनी वजह
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की सीमित पहुंच और डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण लोग मजबूरी में इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं। यह विकल्पहीनता ही उन्हें मौत के मुंह में धकेल देती है।

ग्रामीणों की मांग: सख्त कार्रवाई और स्थायी समाधान

गांव वालों ने मांग की है कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें जेल भेजा जाए और उनकी दुकानों को तत्काल सील किया जाए। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं ताकि लोग सुरक्षित और उचित इलाज पा सकें।यदि समय रहते प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो यह क्षेत्र और भी बड़े हादसों का गवाह बन सकता है। बाबूराम की मौत को केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी मानकर जिम्मेदारों को ठोस कदम उठाने होंगे।

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