संदेश महल समाचार
छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुरूप, प्रदेश में युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इन्हीं प्रयासों की एक मिसाल बनकर उभरी है, जिसके माध्यम से न केवल युवाओं को स्वरोजगार मिला है, बल्कि वे अन्य लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम हुए हैं।ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड बलौदा के ग्राम पंचायत ठड़गाबहरा निवासी सतेन्द्र प्रताप सिंह की। सतेन्द्र ने सिविल इंजीनियरिंग तक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन नौकरी के बजाय स्वरोजगार का मार्ग चुना।
सरकारी योजना से मिली नई दिशा
सतेन्द्र को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बारे में जानकारी मिली, जिसके तहत मत्स्य पालन के लिए 40% तक की सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने वर्ष 2021 में अपनी 70 डिसमिल जमीन पर तालाब निर्माण के लिए आवेदन किया। शासन की ओर से उन्हें 14 लाख रुपये की सहायता राशि मिली, जिसमें से 40% सब्सिडी के रूप में प्रदान किए गए।
मत्स्य पालन से आत्मनिर्भरता की ओर
सतेन्द्र ने अपने तालाब में रोहू, कतला, मृगल, पंगासियस, कॉमन कार्प जैसे मत्स्य प्रजातियों के बीज संचयन से मत्स्य पालन की शुरुआत की। आज उनका व्यवसाय प्रति वर्ष 5-6 टन मछली उत्पादन तक पहुँच चुका है। थोक बाजार में मछलियों की बिक्री से उन्हें सालाना 10-11 लाख रुपये की आय होती है। खर्च घटाने के बाद 7-8 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो जाती है।
स्थानीय लोगों को भी मिला रोजगार
सतेन्द्र के इस व्यवसाय से 5-8 लोगों को स्थायी रोजगार मिला है, जिससे उनके परिवारों की आजीविका सुनिश्चित हुई है। उन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि अन्य ग्रामीण युवाओं को भी प्रेरित किया है।
गांव की अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती
सतेन्द्र प्रताप सिंह की सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि सरकारी योजनाओं का सही और ईमानदारी से उपयोग किया जाए, तो ग्रामीण युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। ऐसी योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।