जेपी रावत
बाराबंकी जनपद के सूरतगंज स्थित महादेवा ईको पर्यटन भगहर झील पार्क का नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर आज उपेक्षा की दर्दनाक मिसाल बन चुका है। करीब दो साल पहले 22 मई 2023 को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बड़े उत्साह के साथ इसका उद्घाटन किया था। उस समय इसे ईको-पर्यटन का अनूठा केंद्र और पर्यावरण जागरूकता का मॉडल कहा गया था।
मगर आज हालात यह हैं कि केंद्र खस्ताहाल हो चुका है—चक्रानुक्रम संरक्षण के पटल टूटे पड़े हैं, पशु-पक्षियों के पुतले क्षतिग्रस्त हैं, इंटरलॉकिंग धंस चुकी है, और चारों ओर उपेक्षा का सन्नाटा पसरा है।
सबसे चौंकाने वाली और शर्मनाक बात यह रही कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर यहां झंडा रोहण तक नहीं हुआ। यह केवल एक आयोजन की कमी नहीं, बल्कि उस भावना की अनदेखी है जिसके लिए यह दिवस मनाया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, जिम्मेदार अधिकारियों और प्रबंधन की लापरवाही ने इस केंद्र की साख को गहरा आघात पहुंचाया है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार और संबंधित विभाग समय रहते ध्यान नहीं देंगे, तो यह करोड़ों की लागत से बनी परियोजना पूरी तरह बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगी। यह मामला अब सिर्फ पर्यटन या पर्यावरण संरक्षण का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और जिम्मेदारी का भी है।