अहिल्या अवतरण का किया गया मंचन

पिसावां /सीतापुर (सन्देश महल) पिसावा क्षेत्र के मिर्जापुर गांव दाने बाबा अस्थान पर चल रही रासलीला में रामगोपाल लीला दर्शन मंडल वृंदावन मथुरा के व्दारा अहिल्या अवतरण कथा का मंचन किया गया भारी संख्या में भक्तों ने बड़े प्रेम से कथा का रसपान किया।अहिल्या की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से मानी जाती है इसलिए अहिल्या को ब्रह्माजी की मानस पुत्री भी कहा जाता है अहिल्या सभी गुणों से परिपूर्ण थी और बहुत ही सुंदर और रूपवती थी । इंद्रदेव भी अहिल्या की खूबसूरती के कायल थें स्वर्ग के राजा इंद्र अहिल्या के साथ विवाह करना चाहते थें ब्रह्मा जी ने अहिल्या के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी कि जो भी तीनों लोकों की परिक्रमा सबसे पहले पूर्ण करेगा अहिल्या का विवाह उसी के साथ किया जाएगा । गौतम ऋषि और इंद्र देव के साथ अन्य देवताओं ने भी अहिल्या से विवाह करने के लिए तीनों लोकों की परिक्रमा शुरू की लेकिन गौतम ऋषि ने परिक्रमा के दौरान एक गर्भवती कामधेनु गाय की परिक्रमा की जिसके कारण ब्रह्मा जी ने कहा कि कामधेनु गाय तीनों लोकों से भी श्रेष्ठ है इसलिए ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्री अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से करवा दिया।अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से होने पर इंद्र देव क्रोधित हो गए एक बार गौतम ऋषि अपनी कुटिया से बाहर गये हुए थें उस समय देवराज इंद्र गौतम ऋषि का भेष बदल कर अहिल्या के समीप गए ।उसी समय गौतम ऋषि वहां पर आए और उन्होंने बिना कुछ जाने क्रोधित होकर अहिल्या को पत्थर की शिला बन जाने का श्राप दिया।गौतम ऋषि के श्राप के कारण अहिल्या पत्थर की शिला बन गई और रामायण काल में जब राम और लक्ष्मण वन विहार करते समय गौतम ऋषि के आश्रम के समीप पहुंचे, तब श्री राम जी के चरण लगते ही पत्थर की शिला बनी अहिल्या फिर से अपने स्वरूप में आ गई इस प्रकार अहिल्या को नया जीवनदान मिला था।

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