रिपोर्ट
विनोद कुमार दूबे
संतकबीरनगर संदेश महल समाचार
जनपद के विकास खण्ड नाथनगर के अंतर्गत अजांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में अयोध्या जी से पधारे कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा संसार में तत्व की जिज्ञासा ही जीव का प्रयोजन है केवल कर्म जाल में फंसा रहना नहीं तत्व भगवान श्री कृष्ण है इसलिए सर्वदा निश्चल मन से उन्हीं का श्रवण कीर्तन चिंतन ध्यान तथा पूजन करना चाहिए।
त्रिवेणी संगम में गंगा, जमुना, सरस्वती का मिलन होता है। मिलन में गंगा जमुना तो दिखाई देती हैं लेकिन सरस्वती को कोई नहीं देख पाता, सरस्वती को देखने के लिए कई बार प्रयास करने पड़ते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती। इसी तरह श्रीमद्भागवत में , भक्ति, ज्ञान,वैराग्य और है, लेकिन ज्ञान और वैराग्य तो दिखाई देता है लेकिन भक्ति नहीं दिखाई देती, भक्ति को देखने के लिए लीन होना पड़ता है। नारद संवाद परीक्षित जन्म वक्ता के दस लक्षण, रसिका भूवि भाविका, कुंती चरित्र, विदुर मैत्री प्रसंग की कथा श्रवण कराई।ज्ञान भक्ति वैराग्य की कथा श्रवण करते हुए मोक्ष प्राप्ति की कथा श्रवण कराई। आचार्य धरणीधर जी कि हमेशा मधुर मीठा बोलो, वाणी के सुर सुधार लो, जिस तरह कौवा दिन भर कांय कांय करता है लेकिन कोई नहीं सुनता लेकिन जब कोयल बोलती है तो सब ध्यान से सुनते हैं इसी लिए कोयल बनो कौवा नहीं। जीव का कल्याण भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है, प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हैं तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो भगवान का चिंतन करो, भगवान भजन ही सार है बाकी सब बेकार है।मुख्य यजमान मालती देवी, रमेश दुबे, अखिलेश दुबे, सुनेश्वरी दत्त ओझा, विरेन्द्र ओझा, प्रमोद पाण्डेय,रामशब्द राजभर, कृष्ण चन्द्र उपाध्याय,इन्द्रेश दुबे,ललकु दुबे, गुड्डू दुबे,शमीर दुबे, मिहीर दुबे , अनंत दुबे, उमेश दुबे, विपिन ओझा राम अजोर ओझा आदि लोग मौजूद रहे।