रिपोर्ट/- सूर्य प्रकाश मिश्र सीतापुर संदेश महल समाचार
दधीचि कुंड मिश्रिख में हजारों की मृत मछलियों को देखा गया। श्रद्धालु कुंड पहुंचे तो वे दुर्गंध से परेशान होने लगे। श्रद्धालुओं ने सूचना नगर पालिका को दी। इसके बावजूद कोई अफसर वहां नहीं पहुंचा। मछलियों के मरने का सिलसिला कई दिनों से चल रहा है।
बताते चलें कि जनपद सीतापुर के मिश्रिख कस्बे के दधीचि कुंड तीर्थ में मंगलवार को हजारों की तादात में मछलियां मर गई थी। मछलियों के मरने का यह सिलसिला दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रहा। दो दिन बीत जाने के बाद मौके पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा है।नगर पालिका के कुछ कर्मचारियों ने मरी हुई मछलियों को निकालकर बोरियों में भरकर तीर्थ पर रख दिया था। जिससे तीर्थ पर दुर्गंध उठने लगी थी। इस कारण श्रद्धालु परिक्रमा करने नहीं आए। दधीच कुंड पर पहुंचकर वहां के लोगों ने ईओ से वार्ता की और वहां की बदहाली बताई। इसके बावजूद नगर पालिका से कोई भी अफसर व कर्मचारी नहीं पहुंचा। श्रद्धालुओं ने कहा कि इस पवित्र तीर्थ की वर्षों से सफाई न होने के कारण पानी काला होकर दूषित हो रहा है, जिससे आए दिन मछलियों के मरने का सिलसिला लगा रहता है।
तीर्थ पुरोहित राहुल शर्मा के अनुसार स्थानीय लोगों की शिकायतों पर प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आते है। वह केवल झूठा आश्वासन देकर चले जाते हैं। इस तीर्थ का दूषित जल बदलवाने के बजाए जल में चूना फिटकरी डलवा कर खानापूर्ति करके चले जाते हैं। तीर्थ का जल दूषित होने के कारण मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है।
26 सितंबर 2020 को भी घटित हुई थी ऐसी घटना
संदेश महल समाचार पत्र ने दधीचि कुंड में मर रही मछलियां इति श्री कर रहा पालिका प्रशासन नामक शीर्षक के साथ खबरों को प्रकाशित किया था।जिस पर कार्रवाई की गई थी। किंतु मिश्रिख के दधीचि कुंड में मछलियों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। दूसरे दिन भी हजारों की संख्या में मछलियां फिर से मर गईं।
सितंबर 2020 में भी दफनायीं गई थी मछलियां
कुंड पर पहुंचे तो यहां पर भारी तादाद में मछलियां मरी हुईं दिखाई दीं। सूचना पर नगर पालिका ने इन मछलियों को कुंड से निकलवाकर दफनवा दिया था। जबकि गुरुवार को भी यही घटना हुई थी।
आक्सीजन की गोलियां पड़ती रहेगी और मछलियां मरती रहेगी।
नगरपालिका प्रशासन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इससे यहां के श्रद्वालुओं में काफी आक्रोश व्याप्त है।नगर पालिका ने फिर से रस्म अदायगी निभा रहा है।कुछ दवाएं कुंड में डलवाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है।
किंतु यहां पर मछलीयों का मरना कोई नयी बात नहीं है।यह तो हमेशा होता रहता है। आक्सीजन की गोलियां पड़ती रहेगी और मछलियां मरती रहेगी। अब देखना है कि नगर पालिका प्रशासन इन मर रही मछलियों के बचाव के लिए आखिर कौन सा रास्ता अख्तियार करता है।यह भविष्य के गर्भ में है।