दो पाटों के बीच फंसा सार्वजनिक शौचालय केयर टेकर सहित जिम्मेदार काट रहे मलाई

रिपोर्ट/- ठाकुर प्रसाद पिसावा सीतापुर संदेश महल समाचार 

पंचायतों को खुले से शौच मुक्त कराने के लिए बनवाए गए सामुदायिक शौचालय निर्माण प्रयोग लायक नहीं हैं। शौचालयों की देखरेख के लिए केयर टेकर की भी नियुक्ति की गई थी।बावजूद शौचालयों का संचालन शुरू नहीं हो सका है।

गौरतलब हो कि ग्राम पंचायतों में ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया। 15वें वित्त मद से प्रति शौचालय पर करीब पांच लाख की धनराशि खर्च हुई। शौचालयों के निर्माण पर धनराशि खातों से निकली भी और दावा इनके निर्माण के साथ पूर्ण करने का भी किया गया, लेकिन धरातल पर तस्वीर एकदम उलट नजर आ रही है। बाहर से भले ही शौचालयों की दीवारें पूर्ण होने का साक्ष्य दिखा रही हों,लेकिन अंदर स्थिति एकदम बदहाल है। शौचालय अधूरे पड़े है।शौचालयों के देखरेख के लिए केयर टेकर की भी तैनाती हुई है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को नियुक्ति की गई। फिर भी सिस्टम में खोट के कारण इनकी तस्वीर नहीं बदल सकी है। बानगी के तौर पर शौचालय की हालत जानने के लिए जिला सीतापुर के पिसावां ब्लाक के अंतर्गत बरम्होली ग्राम पंचायत में निर्माण एक सार्वजनिक शौचालय की बात करते हैं। जो लगभग एक वर्ष से बंद पड़ा हुआ है। बात यहीं खत्म नहीं होती अब बात करते हैं जिम्मेदार लोगों की तो उनके बयान भी ग़ैर जिम्मेदाराना नज़र आए। बात चीत के कुछ अंश जाने क्या बोले-

बयान वर्तमान ग्राम प्रधान

वर्तमान ग्राम प्रधान का कहना है कि अभी शौचालय अधूरा है। पूर्व प्रधान जाने हमसे मतलब नहीं है। सामुदायिक शौचालय जब से बना हैं तब से आज तक इसका कभी ताला नही खुला।

बयान सामुदायिक शौचालय केयर टेकर

महिला केयरटेकर संध्या से बात की गई तो उनका कहना है कि हम एक वर्ष से सामुदायिक शौचालय में ड्यूटी कर रहे हैं।

बयान आम आवाम

ग्राम पंचायत के कुछ ग्रामीणों से रूबरू चर्चा की गई तो उनके अनुसार शौचालय एक भी दिन नहीं खुला महिला केयरटेकर फर्जी तरीके से शौचालय के रखरखाव का वेतन ले रही है। यहां तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ है। इस पंचायत की वास्तविक जांच की जाए तो पंचायत से संबंधित एक भी अधिकारी नहीं बचेगा जिसने इस बहती गंगा में हाथ न थोया हो।

ग्राम पंचायत अधिकारी

ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम प्रधान हिलवाली करते नजर आये। हकीकत तो यह है कि ग्राम प्रधान व सचिव की यदि मिलीभगत नहीं होती तो क्या केयर टेकर आज मलाई काट रहे होते।
शौचालय अधूरा पड़ा है।गड्ढो में मिट्टी आज तक नहीं पड़ी। इसके अलावा यहां बहुत कुछ है।
केयर टेकर के संबंध में बताया कि संध्या गुप्ता ड्यूटी कर रही है।जब संध्या गुप्ता से बात की गई तो उनका कहना है कि हमारी भाभी एक वर्ष से ड्यूटी पर हैं।यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस शौचालय पर केयर टेकर कौन है।हो कोई भी किन्तु मानदेय भुगतान मनमाने तरीके से हो रहा है। सालों से बंद पड़े इस शौचालय में केयर टेकर एक भी दिन ड्यूटी करने नहीं गई। लेकिन इनकी बल्ले बल्ले आज भी है। अब आखिर इस पंचायत में सरकारी धन की बंदरबांट करने वालों के विरुद्ध कौन सी कार्रवाई होती है या फिर यह भी मामला ढाक के तीन पात जैसे रह जाएगा,यह बात भविष्य के गर्भ में है।

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