पंडित आनन्द शुक्ला वृंदावन वाले के द्वारा गोवर्धन प्रसंग सुनकर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

पुनीत कुमार
कानपुर संदेश महल समाचार

कानपुर नगर के ग्राम बैंडी अलीपुर मे शिव मंदिर के दरबार में पंडित आनन्द शुक्ला वृंदावन वाले के मुखारविंद द्वारा श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन गोवर्धन कथा प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि एक समय की बात है श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से व्यक्ति एक उत्सव मना रहे है। श्रीकृष्ण ने इसका कारण जानना चाहा तो वहाँ उपस्थित गोपियों ने उन्हें कहा कि आज यहाँ मेघ व देवों के स्वामी इंद्रदेव की पूजा होगी और फिर इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे, फलस्वरूप खेतों में अन्न उत्पन्न होगा और ब्रजवासियों का भरण-पोषण होगा। यह सुनकर श्रीकृष्ण सबसे बोले कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है जिनके कारण यहाँ वर्षा होती है और इसलिए सभी को गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए।श्रीकृष्ण की बात से सहमत होकर सभी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलाधार बारिश करें। बारिश से भयभीत होकर सभी गोपियां-ग्वाले श्रीकृष्ण के पास गए और उन्हें इस बारे में जानकारी दी। यह जानकर श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा। सभी गोपियां-ग्वाले अपने पशुओं समेत गोवर्धन पर्वत की शरण में आ गए। तत्पश्चात श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठाकर छाते-सा तान दिया।
इन्द्रदेव के मेघ सात दिन तक निरंतर बरसते रहें किन्तु श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी। यह अद्भुत चमत्कार देखकर इन्द्रदेव असमंजस में पड़ गए। तब ब्रह्मा जी ने उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है। सत्य जानकर इंद्रदेव श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने इन्द्रदेव के अहंकार को चूर-चूर कर दिया था अतः उन्होंने इन्द्रदेव को क्षमा किया और सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को भूमि तल पर रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर वर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाए। तभी से यह पर्व प्रचलित है और आज भी पूर्ण श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है। कथा के आयोजक कर्ता पुत्तन यादव, निर्भय यादव, कुलदीप यादव उदय यादव है।

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