जयप्रकाश रावत
संदेश महल समाचार
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नैसर्गिक शृंगार के हर अलंकरण से सुसज्जित, हरियाली के आलिंगन में लिपटे प्रत्येक स्थल आकाश जैसे दिखने वाले नीले जलाशय और प्राणदायक वायु प्रदान करते वन-उपवन, कदम- कदम पर नए झरोखों से प्राकृतिक सुंदरता का भंडार संतकबीरनगर पवित्र स्थल है। विश्व विख्यात कबीर दास ने इसी जनपद के मगहर स्थल पर देह त्यागी थी। संत की अमृतवाणी पूरे संसार को जीवन जीने का संदेश देती है।कबीर दास जी की वाणी में अमृत है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार करने का कार्य किया है। कबीर दास जी मुख्य भाषा पंचमेल खिचड़ी है। जिसकी वजह से सभी लोग उनके दोहों को आसानी से समझ पाते हैं।कबीर दास जी ने सभी धर्मों की बुराइयों और पाखंडों पर व्यंग्य किया है। सभी धर्मों के लोग कबीर दास के मतों को मानते आये हैं। और उनके दोहों में जो सीख है,वह हर व्यक्ति को प्रभावित करती है।
चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह ।
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह ॥
कबीरदास जी कहते हैं कि जब से पाने चाह और चिंता मिट गयी है, तब से मन बेपरवाह हो गया है,इस संसार में जिसे कुछ नहीं चाहिए बस वही सबसे बड़ा शहंशाह है।
दोहा
कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन,
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन
कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जो इंसान दूसरे की पीड़ा और दुःख को समझता है वही सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से क्या फायदा।
दर्शन संतकबीरनगर
5 सितंबर 1997 को संतकबीरनगर जिला बनाया गया था नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांव शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था।
संत कबीर नगर जिला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य 75 जिलों में से एक है। खलीलाबाद शहर जिला मुख्यालय है संत कबीर नगर जिला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है। यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज जिलों से पूर्व में गोरखपुर जिले से दक्षिण में अम्बेडकर नगर जिले से और पश्चिम में बस्ती जिला द्वारा घिरा है। इस जिले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है।
बखीरा, सेमरियावां, हैंसर, मगहर और धनघटा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं। घाघरा, कुआनो, कठनईया,आमी और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां है। तीन तहसील खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। इस जिले में तीन विधान सभा क्षेत्र खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। ये सभी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं।
नाम की उत्पत्ति
खलीलाबाद पहले बस्ती का हिस्सा था खलीलाबाद का पुराना नाम रगड़गंज था। खलीलाबाद के स्टेट बाबू लल्लू राय रईस थे। जो की बिधियानी गांव के निवासी थे, जिन्होंने अपनी जमीन पर रगड़गंज बाजार की स्थापना किया। बाबू लल्लू राय रईस के वंशज आज भी बिधियानी गांव में है। जिनका नाम राजा विनोद राय है। ये बाबू लल्लू राय रईस के चौथे वंशज राजा विनोद राय है। खलीलाबाद का प्राचीन बाजार हरीहरपुर था।बाबू लल्लू राय रईस ने बाद में खलीलाबाद बाजार बसाया बाजार लगाने के लिए सभी को कर देना पड़ता था। कुछ साहूकार व मारवाड़ी ने अपने नाम के आगे राय जोड़ा जैसे कि प्रहलाद राय छपडिया, बाबू लल्लू राय रईस ने अगेंजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने खलीलाबाद के स्टेशन का दरवाज़ा अपने गांव के तरफ करवाया था जो कि आज भी है। बिधियानी की तीनो सड़क आज भी बाबू लल्लू राय रईस के नाम से है।
जिले के प्रमुख्य स्थान
महादेव मंदिर
खलीलाबाद से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
मगहर
जिला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम में लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक समाधि और एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था।

बखीरा
गोरखपुर जिले से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यह जगह विशाल मोती झील के लिए जानी जाती है। माना जाता है कि इस झील का नाम नवाब सादत अली खान ने रखा था। सादत अली कभी-कभार इस जगह पर शिकार करने के लिए आया करते थे। बखीरा में लगने वाला बाजार भी काफी प्रसिद्ध है। इस बाजार में पीतल और कांसे से जुड़े काम की मांग सबसे अधिक रहती है। इसी कारण मिर्जापुर, वाराणसी और मुरादाबाद आदि जगहों से थोक विक्रेता इस जगह पर खरीददारी के लिए आते हैं।

खलीलाबाद
संत कबीर नगर जिले का मुख्यालय है। जो कि बाद में बाबू लल्लू राय रईस के द्वारा बसाया गया बाजार रगड़गंज को रगड़गंज खत्म कर के बाद में इस जगह की स्थापना काजी खलील-उर-रहमान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम खलीलाबाद रखा गया था। वर्तमान समय में यह जगह विशेष रूप से हाथ से बने कपड़ों के बाजार के लिए प्रसिद्ध है। इस बाजार को बरधाहिया बाजार के नाम से जाना जाता है
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय में हैंसर, सूर्यवंशी लाल जगत बहादुर से सम्बन्धित था। स्वतंत्रता संग्राम में लाल जगत बहादुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार के दिन यहां साप्ताहिक बाजार लगता है। इस जगह का क्षेत्रफल केवल 91.4 हैक्टेयर है। हैसर बाजार के क्षेत्र मे एक गॉव भरवल परवता है जो काफी मशहूर है।

हशेश्वरनाथ मंदिर
खलीलाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैंसर गांव में महादेव मंदिर हशेश्वरनाथ धाम स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
धर्मसिंहवा बाजार
धर्मसिंहवा बाजार संतकबीर नगर का बहुत ही पुराना कस्बा है। मेहदावल तहसील में स्थित है। यहाँ पर मौजूद पुरातात्विक अवशेष आज भी अपने अस्तित्व को पाने के लिये तरस रहे हैं। बताया जाता है कि गौतम बुद्ध जब सत्य की खोज के लिये जा रहे थे, वे यहाँ पर रूक कर विश्राम किये थे। यहाँ एक बोद्धस्तूप भी मौजूद है। यह कस्बा जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर जनपद के उत्तरी सीमा पर स्थित है। इस कस्बे से दो किमी के दूरी के बाद जनपद सिद्धार्थ नगर की सीमा शूरू हो जाती है।
अमरडोभा
लेडुआ महुआ अमरडोभा संतकबीर नगर का एक तारीखी कस्बा है यह एक बुनकरों का मुख्य स्थान है। मुस्लिम समुदाय के लोग यहां पर अधिक संख्या में है। यहाँ का गमछा मशहूर है। यहाँ हैनडलोम बहुत है जिससे गमछा चादर धोती कुरता और लुनगी आदि चीजें बनाई जाती है। यहाँ एक अरबी फारसी मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त दारुलउलूम अहलेसुंनत तनवीरुल इस्लाम अमरडोभा डिग्री कालेज है। जिसमें हिन्दुस्तान के कई राज्य के बच्चे पढ़ते है। यहाँ बुधवार को बाजार लगता है जो इलाके का बड़ा बाजार है। यह कस्बा जिला मुख्यालय से 18 कीमी के दूरी पर जनपद के उत्तर में है।
बभनौली बाज़ार
गाँव हैसर बाज़ार से दस किलोमीटर तथा सिकरीगंज से १२ किमी पर स्थित है। यह बाज़ार बभनौली के पंडित तीर्थ राज मिश्र के द्वारा अपने दरवाज़े पर लगवाई गयी थी जो आज भी प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को उन्ही के दरवाज़े के सामने लगती है। इसी ख़ानदान के पंडित शिव पूजन मिश्र एक प्रसिद्ध पहलवान थे।बभनौली गाँव वहाँ के प्रसिद्ध मंदिर ओबा माई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, प्रत्येक नवरात्र में मेला का आयोजन भी होता है।
सडक यातायात,वायु मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ एयरपोर्ट और दूसरा साकेत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह फैजाबाद में स्थित है।
रेल मार्ग
जिले में तीन रेलवे स्टेशन है खलीलाबाद, मगहर और चुरेब। रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग
भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़कमार्ग द्वारा संत कबीर नगर पहुंचा जा सकता है।
