रिपोर्ट/- रामकुमार मौर्य बाराबंकी संदेश महल समाचार
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में बाराबंकी जिले की बुढ़वल सुगर मंके संचालन का रास्ता साफ हो गया है। बुढ़वल में नई चीनी मिल लगाने के लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है।5000 टीसीडी क्षमता की नई चीनी मिल स्थापित की जाएगी।
सुगर मिल का अतीत
1930 में कानपुर के उद्योगपतियों ने बुढ़वल चीनी मिल की स्थापना करवाई थी।
1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मिल के विस्तारीकरण के लिए करीब 62 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कराया था।
2007-08 में तत्कालीन बसपा सरकार में पेराई बंद कर कर्मियों को जबरन वीआरएस दे दिया गया। धीरे-धीरे मिल का सामान चोरी से बिकता रहा। जो बचा वह देखरेख के अभाव में सड़ गया।
2012, 2017 व 2022 के विधानसभा चुनावों में मिल के संचालन का मुद्दा प्रमुखता से उठता रहा। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुपूरक बजट में यह घोषणा की थी कि बुढ़वल मिल का संचालन फिर से होगा। तभी से लोगों को उम्मीदें लगी थी।
15 साल से 62 एकड़ से अधिक भूमि बंजर पड़ी है। मिल के कलपुर्जे चोरी चले गए या सड़ गए हैं। तीन विधानसभा चुनावों में यह मिल प्रमुख मुद्दा बनकर भी सामने आती रही। करीब 100 किसानों से जमीन ली गई और किसानों से बताया गया कि मिल लगने से उनको भी रोजगार मिलेगा। समय बीतता गया मगर मिल का विस्तारीकरण या नवीनीकरण नहीं हुआ।
योगी सरकार द्वारा जारी किए गए बजट में अन्य बिंदुओं का कार्यान्वयन के तहत हुई घोषणाओं में बुढ़वल चीनी मिल के संचालन का प्रस्ताव जारी किया गया है। इसके अनुसार बुढ़वल में 5000 टीसीडी क्षमता की नई चीनी मिल, रिफाइंड शुगर, कोलन प्लांट व आसवनी के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पारित किया गया है।
मिल का संचालन शुरु होने पर ही एक हजार लोगों को रोजगार मिला था। धीरे-धीरे मिल चलती रही और रोजगार बढ़ता रहा। वर्तमान में जिस क्षमता की मिल की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है उससे करीब पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।