रिपोर्ट
जेपी रावत
बाराबंकी संदेश महल समाचार
जिला बाराबंकी के कस्बा सूरतगंज के मौसंडा में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास श्री राघवेन्द्राचार्य जी महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी वर्णन किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित से शुकदेव कहते हैं,कि संसार का कल्याण करने के लिए भगवान अवतार लेते कि जब-जब धर्म की हानि होती है। तब सज्जनों का कल्याण और राक्षसों का वध करने के लिए भगवान अवतार होता है। इसके बाद श्री राघवेन्द्राचार्य ने संगीतमयी चौपाइयों में कहा कि
जब-जब होई धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा
आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
कथावाचक ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतो व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग बताया।
भगवान श्रीराम की मर्यादा और श्रीकृष्ण को तब समझोगे जब राम मय बनो। जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहता है तब प्रभु दर्शन होते हैं। अंत में कथा व्यास ने श्रीकृष्ण जन्म लीलाओं का वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के तमाम मार्मिक प्रसंग सुनाए।
कलाकारों द्वारा भक्त प्रहलाद के जीवन पर नाट्य मंचन भी किया गया। जो ये सीख देता है कि मनुष्य के जीवन मे कितनी भी कठिनाइयां आये परंतु वो सत्य का मार्ग न छोड़े तो ईश्वर भी उसकी पूरी मदद करता है और किसी न किसी रूप में दर्शन देकर मनुष्य के जीवन को धन्य बना देता है। बाल कलाकारों द्वारा राधा-कृष्ण पर आधारित नृत्य कार्यक्रम को देखकर आये हुए दर्शको का मन मोह लिया।
कार्य्यक्रम के अंतिम दिन कथा आयोजक कमेटी ने जनसहयोग से भंडारे का आयोजन किया।
इस मौके पर सैकडों की संख्या में महिला,पुरुष व बच्चे कार्यक्रम में शामिल हुए।