मत का मत मतदान करो,
मत को अस्त्र समझ कर ।
प्रजा तंत्र के दानव पर,
लक्ष्य भेद संधान करो।
मत का मत मतदान करो।
अपनी इस ताकत पर,
तुम तनिक अभिमान करो।
मत का मत मतदान करो।
दान हरदम ही होता है निष्काम,
फिर मत का कैसे हो सकता है दान।
यदि दान किया मत का,
तो फिर कैसे उसका उपयोग करोगे।
सही हाथ में सत्ता पहुंचाने में,
कैसे सहयोग करोगे।
अपराध और राजनीत के संबंधों पर,
अब तो पूर्ण विराम करो।
जाति धर्म के नाम पर सत्ता हथियाने वालों,
अब घर में आराम करो।
मत का मत मतदान करो।
प्रज्ञा पांडेय (मनु)
वापी गुजरात