यूपी बोर्ड के नतीजों ने साबित कर दिया प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं गांवों व कस्बों की बेटियों ने बढ़ाया मान

 

रिपोर्ट सूर्य प्रकाश मिश्र सीतापुर संदेश महल समाचार पत्र

यूपी बोर्ड के नतीजों ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। हाईस्कूल में प्रदेश की मेरिट में अपना स्थान कायम करनी वाली बेटियां सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत की। उनके माता-पिता भी कोई बड़े कारोबारी नहीं हैं। कोई सफाईकर्मी के पद पर कार्यरत हैं तो किसी ने शिक्षामित्र की नौकरी कर बेटियों को पढ़ाया। बेटियों ने भी अपने माता-पिता की कड़ी मेहनत का मान रखते हुए उनका नाम रोशन कर दिया है। नतीजे आते ही उनके घरों में खुशियों का माहौल बना हुआ है।
हाईस्कूल में एकता वर्मा ने 97 फीसदी अंक के साथ प्रदेश की मेरिट में पांचवां स्थान हासिल किया। वे सरदार सिंह कान्वेंट इंटर कॉलेज में पढ़ती हैं। उन्होंने जिले में टॉप किया है। एकता के पिता सतेंद्र वर्मा तहसील महमूदाबाद के न्यामतपुर लबरहा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत है।
एकता भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व दादा-दादी को देती हैं। वे घर पर नियमित पांच से छह घंटे पढ़ाई करती थी। प्रत्येक सब्जेक्ट को बराबर ध्यान दिया। कोर्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया था। उसी के अनुसार पढ़ाई करती रही। एकता का बड़ा भाई आयुष सिविल ट्रेड से पॉलीटेक्निक कर रहा है। एकता की इस सफलता से उनके गांव में खुशियों का माहौल बना हुुआ है।
सफाई कर्मी की बेटी ने झटका दूसरा स्थान
सीता इंटर कॉलेज महमूदाबाद से पढ़ी शीतल वर्मा ने हाईस्कूल में 96.83 अंक अर्जित करके प्रदेश में छठा व जिले में दूसरे स्थान पर कब्जा जमाया है। इनके पिता सुरेश वर्मा सफाईकर्मी हैं। शीतल वर्मा ने बताया कि इस सफलता के पीछे उनके पापा ही हैं। कम संसाधनों के बाद भी उन्होंने पढ़ाई में कोई अड़चन नहीं आने दी।
वह रोजाना अपने काम के साथ मेरी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देते थे। शीतल भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती हैं। उन्होंने सबसे ज्यादा मेहनत विज्ञान, अंग्रेजी व गणित में की है। शीतल ने बताया कि स्कूल से आने के बाद वे चार से पांच घंटे पढ़ाई करती थी। रोजाना नियमित पढ़ाई करने से सफलता हासिल हुई है।
ईशिता वर्मा ने सरदार सिंह कान्वेंट इंटर कॉलेज से हाईस्कूल में 96.50 फीसदी अंक हासिल करके प्रदेश की मेरिट में सातवां व जिले में तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया है। ईशिता मूल रूप से जनपद बाराबंकी की रहने वाली हैं। इनके पिता सुनील वर्मा बडूपुर चौराहे बाराबंकी में चप्पल जूता की दुकान चलाते हैं। ईशिता का कहना है कि महमूदाबाद काफी दूर था लेकिन पापा ने बस लगा दी थी।
बस से रोजाना स्कूल जाती थी। घर पर शिक्षकों द्वारा दिए होमवर्क को पूरा करती। इससे कोर्स को तैयार करने में आसानी रहती। जिस दिन स्कूल में जो सब्जेक्ट पढ़ाया जाता, उसी दिन उसको तैयार कर लेती। जब पूरा कोर्स समाप्त कर लिया तो दो बार रिवीजन जरूर किया।

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