राम कथा अमृत रस है। इसका पान करने वालों का होता है कल्याण

रिपोर्ट
मुकेश कुमार
सिरौलीगौसपुर बाराबंकी संदेश महल समाचार

दरियाबाद क्षेत्र के मालीनपुर चौराहा हनुमान मंदिर में चल रही सात दिवसीय भागवत चर्चा में लखनऊ से पधारे सुप्रसिद्ध कथा व्यास श्रद्धेय चंद्रशेखर महाराज ने भक्तों के बीच प्रवचन देते हुए कहा कि राम कथा अमृत रस है। इसका पान करने वाले जीवन में सही मार्ग को चुनते हैं। उनका सदा कल्याण होता है। मानव ही नहीं, देवता भी श्रोता बनकर श्री राम कथा का श्रवण करने को आतुर रहते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कुंभज ऋषि द्वारा सुनाई गई राम कथा का शिव व पार्वती के श्रवण का प्रसंग बताया। त्रेता युग के पुष्पक विमान व आज के वायुयान में अंतर को बताते हुए कहा कि त्रेता युग के पुष्पक विमान की क्षमता अनोखी थी। जितने भी लोग सवार हो जाएं, एक सीट खाली रह जाती थी। उस विमान में ईधन नहीं भरा जाता था। आज का वायुयान वायुमंडल को प्रदूषित करता है। साथ ही उसमें महंगा ईधन भरा जाता है। श्री राम का नाम सीधा या उलटा जपने का कोई विभेद नहीं है। वाल्मीकि जी दस्यु थे, जिनका पूरा समय मार काट में बीता था। परंतु, उलटा नाम लगातार जपते- जपते वे ऋषि बन गए। वर्तमान में प्रभु श्री राम का नाम जपने से ही मनुष्यों को सारे फल की प्राप्ति हो जाएगी। कथा व्यास प्रवेश कुमार शास्त्री जी ने कहा भगवान की आराधना के लिए स्वच्छ व पवित्र मन की जरूरत है। यह धरती स्वर्ग से भी सुंदर है। यही कारण है कि स्वर्ग के देव भी धरती पर आने को तरसते हैं। प्रवचन को सुनने के लिए प्रतिदिन श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ रही हैl चल रही 3 दिवसीय श्री राम कथा में लखनऊ से पधारे सुप्रसिद्ध कथा व्यास श्रद्धेय चंद्रशेखर जी महाराज ने भक्तों के बीच प्रवचन देते हुए कहा कि राम कथा अमृत रस है। इसका पान करने वाले जीवन में सही मार्ग को चुनते हैं। उनका सदा कल्याण होता है। मानव ही नहीं, देवता भी श्रोता बनकर श्री राम कथा का श्रवण करने को आतुर रहते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कुंभज ऋषि द्वारा सुनाई गई राम कथा का शिव व पार्वती के श्रवण का प्रसंग बताया। त्रेता युग के पुष्पक विमान व आज के वायुयान में अंतर को बताते हुए कहा कि त्रेता युग के पुष्पक विमान की क्षमता अनोखी थी। जितने भी लोग सवार हो जाएं, एक सीट खाली रह जाती थी। उस विमान में ईधन नहीं भरा जाता था। आज का वायुयान वायुमंडल को प्रदूषित करता है। साथ ही उसमें महंगा ईधन भरा जाता है। श्री राम का नाम सीधा या उलटा जपने का कोई विभेद नहीं है। वाल्मीकि जी दस्यु थे, जिनका पूरा समय मार काट में बीता था। परंतु, उलटा नाम लगातार जपते- जपते वे ऋषि बन गए। वर्तमान में प्रभु श्री राम का नाम जपने से ही मनुष्यों को सारे फल की प्राप्ति हो जाएगी। कथा व्यास प्रवेश कुमार शास्त्री जी ने कहा भगवान की आराधना के लिए स्वच्छ व पवित्र मन की जरूरत है। यह धरती स्वर्ग से भी सुंदर है। यही कारण है कि स्वर्ग के देव भी धरती पर आने को तरसते हैं। प्रवचन को सुनने के लिए प्रतिदिन श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ रही है इस अवसर पर कथा के आयोजक सतीश यादव ने आरती के साथ प्रसाद वितरण किया गया।

error: Content is protected !!