रिपोर्ट
जेपी रावत
बाराबंकी संदेश महल समाचार
आमों के पेड़ों पर धड़ल्ले से आरा चलाया जा रहा है। इन्हें काटने के लिए वन विभाग से परमिट की जरूरत नहीं है। बल्कि वन रक्षक महेंद्र से मिलिए और पेड़ों पर आरा चलाइए। आखिर वन अधिकारी महेंद्र पर इतना मेहरबान क्यों है।यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। किंतु लगातार वेशकीमती बेखौफ पेड़ों की कटान पर वन रक्षक की निरंकुशता से वन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

एक नज़र पेड़ों के काटने की व्यवस्था पर…..
वन विभाग में पेड़ को काटने के लिए आवेदन देने के साथ संबंधित भूमि का खसरा व खतौनी देनी पड़ती है। साथ ही संबंधित पेड़ों की जांच कर उद्यान विभाग यह रिपोर्ट देता है कि आवेदक द्वारा जिन पेड़ों को काटने के लिए परमिट मांगी गई है वह पेड़ अब फल देने योग्य नहीं है। वन रेंज फतेहपुर अंतर्गत क्या ऐसा होता नहीं, यदि हकीकत पर नजर डाली जाए तो यहां पर सिर्फ चंद पैसों के खातिर नियम और क़ानून के साथ मनमाना खेल खेला जाता है।

गौरतलब हो कि सप्ताहांत में थाना मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों में हुई प्रतिबंधित पेड़ों की कटान में वन माफियाओं द्वारा नीम,आम,शीशम जैसे हरे भरे पेड़ दिनदहाड़े लकडकट्टों ने क्षेत्रीय वन विभाग के वन रक्षक की मिली भगत से साफ कर दिया और वन विभाग के आलाधिकारियों सहित अन्य अधिकारी सोते रहे।
मजेदार बात तो यह कि पेड कटे और गायब हो जातें हैं। जड़े खोदकर जमीन भी बराबर करवा दी जाती है। जिससे लगता ही नहीं कि यहां कभी बाग या फिर पेड़ भी लगे हुए थे। यदि वन रक्षक महेंद्र से कोई ग्रामीण हिम्मत जुटा कर बात भी करना चाहे तो एक ही जबाव आता है कि हमें जानकारी है,हम देख लेंगे। पेड़ों का परमिट है, फिर क्या पेड़ साफ होते रहते हैं,वन रक्षक मस्ती करते रहते हैं।
परमिट की रट वन विभाग के लिए एक रटा रटाया जुमला है। इसी की आड़ में खुलेआम बागों पर आरे चलाए जाते हैं।किंतु परमिट किसी को दिखाते नहीं है। बाग कटने व लकड़ी ठिकाने लगने के बाद वन विभाग अपने को बचाने के लिए दो -चार पेड़ों का अवैध कटान दिखाकर 10-15 हजार रूपये जुर्माना ठेकेदार से जमा करवा कर दर्जनों पेड़ों के कटान को वैध बना करार दे दिया जाता है।आखिर क्यों नहीं होती विभाग के जिम्दारो पर कार्यवाही,क्या इन्हें स्थाई तैनात कर हरियाली विनाश कराओ का अभियान चला रखा है। उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के थाना मोहम्मदपुर खाला में इस दिनों वन विभाग की कार्यशैली सुर्खियों में है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अफसर अपने मातहत के विरुद्ध कौन सी कार्यवाही करतेहैं।यह सवाल भविष्य के गर्भ में है।