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महोदय जी मोहब्बत में पहुंचे जेल और हुए निलंबित

रिपोर्ट
उमेश बंसल
लखीमपुर-खीरी संदेश महल समाचार

बिजुआ ब्लॉक में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी धीरज सिंह राना को डीपीआरओ ने निलंबित कर दिया है।ग्राम पंचायत अधिकारी चार सितंबर 2020 से जेल में बंद है। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत अधिकारी धीरज सिंह राना के द्वारा दूसरी शादी करने पर पहली पत्नी ने मुकदमा पंजीकृत करवाया था। बाद पुलिस ने श्री महोदय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिसकी सूचना खंड विकास अधिकारी बिजुआ ने ग्राम पंचायत अधिकारी के जेल जाने की सूचना छह सितंबर 2020 को डीपीआरओ को दी थी, किंतु किसी के पास चार्ज न होने के चलते उस दिन कार्रवाई नहीं हो सकी। बुधवार को चार्ज मिलने के बाद डीपीआरओ मनोज कुमार यादव ने ग्राम पंचायत अधिकारी धीरज सिंह राना को निलंबित कर दिया। साथ मामले में एडीओ पंचायत फूलबेहड़ को जांच अधिकारी नामित कर 15 दिन में आरोप पत्र निर्गत करने के निर्देश दिए हैं।
तेरह दिनों बाद रिक्त पड़े डीपीआरओ पद का कार्यभार दो अधिकारियों में बांट दिया गया है। जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने एडीपीआरओ मनोज कुमार यादव को डीपीआरओ का प्रशासनिक चार्ज दिया है, जबकि डीसी मनरेगा राजनाथ प्रसाद भगत को वित्तीय चार्ज दिया गया है। इससे पंचायत राज विभाग में कामकाज सुचारू हो सकेगा और लंबित मामलों में कार्रवाई हो सकेगी।
विभागीय कार्यों में लापरवाही और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई न करने के चलते शासन ने 26 अगस्त 2020 को तत्कालीन डीपीआरओ अजय कुमार श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया था, किंतु इनके स्थान पर किसी नए अधिकारी की तैनाती नहीं हो सकी थी। हुई थी। लगभग तेरह दिनों तक विभागीय कामकाज प्रभावित रहा और डीपीआरओ का चार्ज किसी अन्य अधिकारी को देने को लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा था। हालांकि इस दौरान एडीपीआरओ कामकाज देखते रहे, लेकिन चार्ज उन्हें भी नहीं मिला था। मंगलवार को उपनिदेशक पंचायत एके सिंह ने डीपीआरओ कार्यालय का निरीक्षण कर विभागीय कार्यों की समीक्षा की थी और डीपीआरओ का चार्ज एडीपीआरओ को देने की संस्तुति की थी। इसके बाद डीएम ने डीपीआरओ का कार्यभार दो अधिकारियों में बांट दिया। एडीपीआरओ मनोज कुमार को डीपीआरओ का विभागीय चार्ज मिला, जबकि उपायुक्त मनरेगा राजनाथ प्रसाद भगत को वित्तीय अधिकार दिया गया है। इस व्यवस्था से पंचायत राज विभाग का कामकाज सुचारू रूप से संचालित होगा, लेकिन पूर्णकालिक डीपीआरओ की तैनाती न होने से विभाग में खींचतान भी मच सकती है। क्योंकि दो अधिकारियों के पास चार्ज होने से विभागीय कार्यों में दूसरे अधिकारी के दखल से विवाद की स्थिति बन सकती है।