न्याय न मिलने के बाद शव को लेकर पिड़ित पहुंचे पुलिस कप्तान कार्यालय लगाई न्याय की गुहार देर शाम मृत नवजात के शव का रामेश्वर घाट पर किया गया अंतिम संस्कार वाराणसी हरहुआ बड़ागांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत हरहुआ में स्थित एक निजी अस्पताल में नवजात शिशु की मौत के बाद गुरुवार को परिजनों ने जमकर हंगामा किया। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया लेकिन परिजन चिकित्सक और प्रबंधक को गिरफ्तार करने पर अड़ गए। सायं काल परिजन मासूम के शव को लेकर पुलिस अधीक्षक वाराणसी ग्रामीण कार्यालय में पहुंचे वहां पुलिस अधीक्षक के मौजूद न रहने पर क्षेत्राधिकारी बड़ागांव से शिकायत किए। सीओ बड़ागांव द्वारा जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया उसके बाद बाद में देर शाम मासूम को वरुणा नदी में प्रवाहित कर दिए जानकारी अनुसार बड़ागांव थाना क्षेत्र के पुआरीकला गहरपुर निवासी दिनेश यादव अपनी पत्नी प्रियंका को सातोमहुआ गढ़वा में स्थित संजीवनी अस्पताल में भर्ती कराया था स्वजनों ने बताया कि 17 जनवरी को दोपहर बाद प्रियंका ने एक पुत्र को जन्म दिया जन्म के बाद आधे घंटे तक उसी अस्पताल में इलाज चला उसके बाद मासूम को हरहुआ स्थित एक निजी चिकित्सालय में रेफर कर दिया गया उक्त अस्पताल में 2 दिनों तक मासूम का इलाज चला और गुरुवार को सुबह में चिकित्सक द्वारा बिना कुछ बताए सातोमहुआ गढ़वा में स्थित संजीवनी हास्पिटल के लिए यह कहते हुए भेज दिया की बच्चे की हालत ठीक नहीं है।इसे किसी दुसरे हास्पिटल लेकर जाइये हालांकि पिड़ित लोग बच्चे को ले जाकर शहर के दो से तीन हास्पिटलो में दिखाए जहां डाक्टरों ने बताया कि इस बच्चे की मृत्यु चार से पांच घंटे पहले ही हो चुकी है नवजात के शव को लेकर संजीवनी हास्पिटल पहुंचे पिड़ित परिवार के लोगों ने दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया।
परिजनों का कहना है कि इस अस्पताल पर कोई जिम्मेदार डाक्टर ही नहीं है।अगर समय रहते डाक्टरों ने चेता होता तो बच्चे को बचाया जा सकता था वहीं परिजनों ने कहा कि तीन इलाज के दौरान दोनों हास्पिटल के द्वारा एक भी रेफर कागज और ना ही एक भी दवा इलाज की पर्ची परिवार के लोगों को दिया गया है वही इस सन्दर्भ में चौकी प्रभारी हरहुआ सत्य प्रकाश सिंह से बात करने पर उन्होंने कहाकि सुचना मिलने के बाद मय फोर्स मौके पर पहुंच कर घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद पिड़ित को मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा गया लेकिन पिड़ित पक्ष के द्वारा घटना के सन्दर्भ में कोई तहरीर नहीं दी गयी है।अगर पिड़ित पक्ष के द्वारा तहरीर दी जाती है तो मुकदमा दर्ज कर जांच के बाद उचित कार्रवाई की जायेगी।