पकड़ौआ विवाह का खूनी अंजाम

पकड़ौआ विवाह का खूनी अंजाम

संदेश महल समाचार
एक लड़का और लड़की एक दूसरे से प्यार करते थे. ये बात लड़की के घरवालों को पता चल गई तो उन्होंने लड़के को उठाकर या यूं कहें कि अगवा करके उससे जबरन अपनी लड़की की शादी करा दी। लेकिन लड़के के घरवाले इस रिश्ते के लिए राजी नहीं थे। लिहाजा, उन्होंने इस शादी को मंजूर नहीं किया। इस बात को डेढ़ साल बीत चुका था। अब लड़के के घर में एक शादी थी। इससे पहले कि उस शादी में विदाई होती,मंडप में तीन लाशें गिर चुकी थीं। ये खूनी कहानी आपके होश उड़ा देगी।
बीपीएससी की परीक्षा पास कर गौतम ने अभी-अभी एक सरकारी स्कूल में टीचर की नौकरी पाई ही थी कि उसके साथ खेल हो गया. एक रोज़ स्कूल में कुछ लोग एक स्कॉर्पियो में सवार होकर दनदनाते हुए पहुंचे, क्लास से ही मास्टर जी को बंदूक के दम पर अगवा किया और जब तक पुलिस मास्टर जी को आजाद करवाती, सर जी एक से दो हो चुके थे।यानी उनका पकड़ौआ विवाह हो चुका था। मामला बिहार के हाजीपुर का है।


पटना सिटी का बाहरी बेगमपुर इलाका। एक रोज़ दोपहर के वक़्त एक एनजीओ की टीम इस रिहायशी इलाके में पहुंची। एक नौजवान लड़के की तलाश करने लगी। जल्द ही उसके घर की पहचान हुई और फिर सबकी मौजूदगी में, पूरे पब्लिक व्यू के बीच लड़के को मोहल्ले के ही एक मंदिर में ले जाया गया और जबरन उसके हाथों एनजीओ की टीम के साथ आई एक लड़की की मांग में सिंदूर भरवा लिया गया. लड़के को डरा धमका कर जयमाल की परंपरा भी निभाई गई और इसी के साथ एक और पकड़ौआ विवाह संपन्न हो गया।
साल गुज़रे, सत्ता बदली। बिहार के सियासी जंगलराज का खात्मा हुआ तो कहने को सुशासन की बहार भी आ गई, लेकिन अगर बिहार में कुछ नहीं बदला, तो वो है. बिहार ये अजीब परंपरा, जिसने अब तक नामालूम कितने ही घरों को तबाह किया और आगे भी न जाने कितने घरों को बर्बाद करेगी?
अब इसी कड़ी में ये तस्वीर नंबर तीन देखिए. तस्वीरें बिहार के बेगूसराय जिले की हैं। साहेबपुर कमाल थाना इलाके के गांव गोविंदपुर की. वैसे तो ये तस्वीरें भी एक पकड़ौआ विवाह से जुड़ी हैं, लेकिन यहां पकड़ौआ विवाह का अंजाम ट्रिपल मर्डर की एक वारदात की सूरत में सामने आया है. एक ऐसी वारदात जिसमें सिर्फ साहेबपुर कमाल या बेगूसराय ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के दहला दिया है। पकड़ौआ विवाह को सही साबित करने अपने बच्चों का घर बसाने की कोशिश में एक परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी गई है।और अब इस वारदात के बाद पुलिस को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वो हालात को काबू में करे, तो कैसे करें।
नीलू और हिमांशु की पकड़ौआ शादी
इस कहानी की शुरुआत होती है आज से कोई डेढ़ साल पहले. बेगसूराय के ही गांव श्रीनगर छर्रापट्टी के रहनेवाले एक परिवार ने इस रोज़ अपनी बेटी नीलू का पकड़ौआ विवाह पास के ही गांव गोविंदपुर के रहनेवाले एक लड़के हिमांशु यादव से करा दिया था।असल में हिमांशु यादव का नीलू के घर आना जाना था। और लड़का-लड़की दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते थे। इसी कड़ी में लड़की के घरवालों ने हिमांशु को एक रोज अपनी बेटी के साथ देख लिया और फिर वही हुआ, जो बिहार में होता आया है।लड़की वालों ने हिमांशु को पकड़ा और जबरन उसकी शादी अपनी बेटी नीलू के साथ करा दी।लेकिन एक वो दिन था और एक आज का दिन, हिमांशु और उसके घरवालों ने कभी नीलू को अपने घर की बहू के तौर पर नहीं अपनाया और लड़की वाले लगातार हिमांशु के परिवार वालों पर दबाव बनाते रहे।
दोनों परिवारों के बीच पहले से थी रिश्तेदारी
असल में इस पकड़ौआ विवाह के पीछ एक और कहानी छुपी है।कहानी इसी हिमांशु और नीलू के परिवार से जुड़ी है. असल में हिमांशु के चचेरे भाई की शादी नीलू की बड़ी बहन के साथ हुई थी।यानी दोनों परिवारों में रिश्तेदारी थी।इसी रिश्तेदारी की बदौलत नीलू का हिमांशु के घर तो कभी हिमांशु का नीलू के घर आना-जाना लगा रहता था।लेकिन इसी आने-जाने के दौरान नीलू और हिमांशु एक दूसरे से प्यार करने लगे।लेकिन जब बात निभाने पर आई, तो हिमांशु पीछे हटने लगा, लेकिन नीलू के घरवालों ने अपनी बेटी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक रोज़ नीलू और हिमांशु की पकड़ौआ शादी करा दी। लेकिन हिमांशु और उसका परिवार इस रिश्ते को मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ। वो भी तब, जब उनके परिवार में नीलू की बड़ी बहन बहू के तौर पर ब्याही थी।
17 फरवरी 2024, शनिवार
गोविंदपुर गांव में हिमांशु के परिवार में इस रोज़ मांगलिक कार्य था. यानी हिमांशु के बड़े भाई सुधांशु की शादी हो रही थी. जब श्रीनगर छर्रापट्टी के रहनेवाली नीलू के घरवालों को इस बात की खबर मिली, तो उन्होंने सोचा कि अपनी बेटी का घर बसाने का यही सही मौका है।वो इस शुभ मुहुर्त पर अगर अपनी बेटी को बहू के तौर पर अपनाने की अर्जी लेकर हिमांशु के घरवालों से मिलेंगे, तो हिमांशु के घरवाले भी सामाजिक दबाव और लोक-लाज के चलते इस रिश्ते से मना नहीं कर सकेंगे। बस, यही सोच कर नीलू के पिता उमेश यादव, उसके भाई राजेश यादव और परिवार के दूसरे लोग 15 लाख रुपये दहेज के तौर पर लेकर हिमांशु के घर पहुंचे. वहां पहुंच कर हिमांशु के पिता संजय यादव से बात करने की कोशिश की।ताकि उन्हें इस बात के लिए राजी किया जाए कि वो नीलू को अपने घर की बहू के तौर पर स्वीकार कर लें।

मंडप में ट्रिपल मर्डर

लेकिन एक तो पकड़ौआ विवाह और दूसरा मांगलिक कार्य के मौके पर नीलू के घरवालों का इस तरह मौके पर आ धमकना।हिमांशु के पिता संजय यादव को ये बात सख्त नागवार गुजरती और बातचीत की कोशिश गरमा-गरमी में बदल गई।बस, इसके बाद तो शादी के मंडप में ही ऐसा बवाल मचा कि पूरा बिहार सन्नाटे में आ गया. संजय और उसके घर वालों ने मिल कर कथित तौर पर नीलू, उसके पिता और भाई को गोलियों से छलनी कर दिया. कातिलों ने जहां नीलू को 6 गोलियां मारीं वहीं, उसके पिता और भाई को 2-2 गोली. एक शादी वाले घर में हुई इस फायरिंग से पूरे इलाके में बवाल मच गया।

तीनों मुख्य आरोपी फरार

जब श्रीनगर छर्रापट्टी के गांव के लोगों को उनके गांव के लोगों की मौत की खबर मिली, तो वो ना सिर्फ मौके पर पहुंचे, बल्कि उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कर दी। चश्मदीदों की मानें तो जब बात बिगड़ गई, तो हिमांशु के पिता संजय और उसके भाई सुधांशु ने फायरिंग शुरू कर दी, जबकि खुद हिमांशु बार-बार पिस्टल लोड कर अपने पिता और भाई को पकड़ता रहा. इस तरह एक शादी वाले घर में, जिसमें सैकड़ों लोग मौजूद थे, भयंकर गोलीबारी शुरू हो गई. और तो और इस फायरिंग में खुद हिमांशु और सुधांशु का एक छोटा भाई भी गोली लगने की वजह से जख्मी हो गया। 11 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा पुलिस ने इस सिलसिले में 11 लोगों के खिलाफ नामज़द रिपोर्ट लिखी है और मामले की छानबीन शुरू कर दी है. लेकिन कत्ल के तीनों मुख्य आरोपी फिलहाल फरार हैं‌। वारदात के बाद से नीलू के घर में मातम पसरा हुआ है. जो पिता और भाई अपनी बेटी का घर बसाने की कोशिश कर रहे थे,अब वे खुद भी इस दुनिया में नहीं रहे और ना ही नीलू बची।

पकड़ौआ विवाह का खूनी अंजाम

तमाम पाबंदियों के बावजूद बिहार में पकड़ौआ विवाह के मामले तो अक्सर सामने आते रहे हैं, लेकिन किसी पकड़ौआ विवाह के चलते दो परिवारों के बीच गोली-बारी हो जाए और एक साथ तीन-तीन लोगों की हत्याएं कर दी जाएं, ऐसा कम से कम हाल के सालों में देखने को नहीं मिला. यही वजह है कि बेगूसराय में हुई इस भयानक वारदात ने बिहार को करीब से जानने और उसकी समझ रखने वाले लोगों को भी चौंका दिया है।
कुछ आंकड़ों की रोशनी में पकड़ौआ विवाह
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ इलाकों में पकड़ौआ विवाह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर ऐसा होता क्यों है? कोई मां-बाप बगैर अपनी बच्चों की मर्जी के आखिर उन्हें भेड़-बकरियों की तरह किसी दूसरे के पल्ले कैसे बांध सकता है, तो इस सामाजिक बुराई को समझने के लिए बिहार के सोशियो इकोनॉमिक कंडिशन को समझना जरूरी है।आइए कुछ आंकड़ों की रोशनी में पकड़ौआ विवाह के अजीबोगरीब रिवाज को समझने की कोशिश करते हैं।
भारत की 60 फीसदी आबादी नौजवान
भारत दुनिया के सबसे नौजवान देशों में से एक है।यहां 18 से 35 साल की उम्र के लोगों की आबादी करीब 600 मिलियन यानी साठ करोड़ है. जो कुल आबादी का 44.4 प्रतिशत है। लेकिन मेल-फीमेल रेशियो यानी महिला और पुरुषों के अनुपात में फर्क है। यहां प्रति 108 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं. यानी इस आंकड़े के हिसाब से देखें, तो हर सौ नौजवानों में 8 लड़के कुंवारे रह जाते हैं। इस हिसाब से पूरी आबादी का 48.04 फीसदी हिस्सा महिलाओं का है, जबकि 51.96 फीसदी हिस्सा पुरुषों का।

सेक्स रेशियो के मामले में भारत सबसे नीचे
यूनाइटेड नेशनंस पॉप्यूलेशन फंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सेक्स रेशियो के मामले में दुनिया में सबसे नीचे खड़ा है, जहां हज़ार पुरुषों पर सिर्फ 933 महिलाएं ही हैं. और ये असंतुलन महिलाओं के खिलाफ़ अपराध, बाल विवाह, मानव तस्करी समेत कई तरह के सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है. जानकारों की मानें तो बिहार और यूपी में होने वाले पकड़ौआ विवाह की जड़ में भी कहीं ना कहीं बिगड़ा हुआ महिला पुरुष आबादी का अनुपात और दहेज जैसे सामाजिक बुराई भी एक वजह है.

दहेज प्रताड़ना के मामलों में यूपी नंबर वन
दहेज से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें, तो ये बात समझ में आती है. साल 2021 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक दहेज प्रताड़ना के मामलों में उत्तर प्रदेश का नंबर पूरे देश में सबसे ऊपर है. यहां साल भर में कुल 4,594 केस दर्ज हुए. इसके बाद बिहार का नंबर दूसरा है, जहां कुल 3,362 दहेज के मामले रिपोर्ट किए गए. जबकि 1845 केसेज के साथ कर्नाटक तीसरे और 1,805 दहेज के मामलों के साथ झारखंड चौथे नंबर पर है. दहेज प्रताड़ना के इतने मामले ही इस बात का सबूत है कि यूपी और बिहार का समाज अब भी इस बुराई से बाहर नहीं निकल सका है, जिसके चलते कहीं ना कहीं पकड़ौआ विवाह जैसी दूसरी सामाजिक बुराइयों ने जन्म ले लिया है।
अब आइए पकड़ौआ विवाह के आंकड़ों पर भी एक नज़र डाल लेते हैं।बिहार में पकड़ौआ विवाह के मामले कभी कम तो कभी ज्यादा होते रहे हैं। साल 2020 में बिहार में जबरन शादी कराने के 7,194 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2019 में 10,295 मामले प्रकाश में आए, इससे पहले साल 2018 में 10,310 मामलों का खुलासा हुआ और 2017 में 8,927 मामले सामने आए थे। हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मामले आपसी सहमति से निपटा लिए गए. बिहार पुलिस के मुताबिक साल 2020 में पकड़ौआ विवाह के 33 और 2021 में 14 मामले दर्ज किए गए. जाहिर है पुलिस के ये आंकड़े सचमुच के आंकड़ों के मुकाबले काफी कम हैं और ये इस बात का सबूत है कि पकड़ौआ विवाह के ज्यादा मामलों का निपटारा सामाजिक तौर पर ही हो जाता है।