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पोखरों की हकीकत

भीषण गर्मी से बेजुबान पशु-पक्षी बेहाल हैं। जल संरक्षण तो दूर अधिकांश जलाशयों से पानी सूख चुका है।लाखों रुपये खर्च कर विकसित किए गए तालाब रंगत खो चुके हैं।
जबकि पर्यावरण संतुलन, मवेशियों, पशु, पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए खोदे गए है। अस्तित्व और सुंदरीकरण के नाम पर खूब पैसा बहाया गया है।कुछ तालाबों को सामान्य से हटकर मॉडल का भी नाम दिया गया है।
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नोट- स्वयं की खींची तस्वीर एवं टाइप सूचना ही मान्य होगी।