उस्ताद बिस्मिल्ला खां की धरोहर पर चला हथौड़ा

संदेश महल ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज एडिटर जेपी रावत के साथ

जिस मकान में उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खां की शहनाई परवान चढ़ी,और फज़्र की नमाज़ के बाद जिस कमरे में उस्ताद शहनाई का रियाज़ करते थे उसी कमरे पर हथौड़ा चला है। यह हथौड़ा पारिवारिक विवाद का है,जिसमें एक पक्ष उस मकान को तोड़कर व्यावसायिक केंद्र बनाना चाहता है तो दूसरा पक्ष उसे धरोहर के रूप में बचाए रखना चाहता है। फिलहाल ये विवाद बड़ा हो गया है और इसमें अब स्थानीय प्रशासन ने हस्तक्षेप किया है।बिस्म्मिल्लाह खां के मकान की छत पर उस कमरे का मलबा रखा है जहां कभी उस्ताद फज़्र की नमाज़ के बाद शहनाई का रियाज़ किया करते थे।बिस्म्मिल्लाह खां के पड़ोसी मोहम्मद आसिफ ने बताया कि मैं बहुत दुखी हूं इसकी हालत देखकर जब बिस्म्मिल्लाह खां साहब ज़िंदा थे तब यहां पूरी दुनिया के लोग आते थे।खां साहब को अपने मोहल्ले से प्यार था, लोगों से प्यार था वे कहीं गए नहीं,और आज उनके इंतकाल के बाद ये दुर्दशा हो रही है।मकान की इस टूट फूट में परिवार के ही कुछ लोगों की सहमति है।इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं। बिस्म्मिल्लाह खां के पोते मोहम्मद सिकतैन कहते हैं कि “ये मकान किसी को दिया नहीं गया है।आप मकान की स्थिति देख रहे हैं।आप  नीचे से ऊपर आए हैं, देखते हुए आप देख लीजिए अगर मैं सपोर्ट नहीं करूंगा तो ये मकान बैठ जाएगा।मैंने ऊपर का लोड काम करने के लिए इसे गिराया है।
गौरतलब है कि बिस्मिल्लाह खां के पांच लड़के थे जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है। दो बेटों का परिवार इसी मकान में रहता है। परिवार की माली हालत ठीक नहीं है, लिहाजा कुछ लोग इस मकान का कामर्शियल उपयोग करना चाहते हैं ताकि उनकी रोज़ी रोटी चल सके।
इस तोड़फोड़ को लेकर संगीत जगत के लोगों को भी एतराज है। बिस्मिल्लाह खां की दत्तक पुत्री संगीतज्ञ सोमा घोष ने कहा कि भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां का घर हम सभी कलाकारों के लिए एक मंदिर की तरह है। वहां उन्होंने साधना की थी और आखिरी सांस तक उसी कमरे में रहे, कहीं नहीं गए बनारस को छोड़कर। हमारी डीएम और कमिश्नर साहब से गुज़ारिश है कि वह कमरा, वह याद पूरे भारत की है, उसे बचा लिया जाए।यह मामला जब मीडिया में उछला तो वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अपने संज्ञान में लिया और चल रहे काम को रुकवा दिया।हालांकि ह्रदय योजना के अंर्तगत उस्ताद के मकान को संरक्षित करने की योजना थी लेकिन वह ठंडे बस्ते में चली गई।अब संगीत जगत के लोग चाहते हैं कि उनके मकान को धरोहर घोषित किया जाए।घर की देहरी पर बजने वाले जिस वाद्य यंत्र शहनाई को उस्ताद ने अपनी सांसों से घर के आंगन में जगह दिलाई, आज उन्हीं के घर के आंगन, उनके मकान को लेकर विवाद हो रहा है। ऐसे में सरकार को आगे आना चाहिए।