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उम्र का बंधन नहीं,दुल्हन चाहिए तो हमसे मिलिए पंजीकरण निशुल्क

रिपोर्ट
जेपी रावत
बदायूं संदेश महल समाचार

उम्रदराज,तलाकशुदा,विदुर महिलाओं-पुरुषों में यदि महिला है तो दूल्हा और यदि पुरुष है तो दुल्हन सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।कीमत हमारी दुल्हन तुम्हारी, किंतु दुल्हन किसी को भी नसीब नहीं हुई।
यहां से शुरू होता है, दुल्हन के साइबर ठगों का खेल जिसमें पंजीकरण निशुल्क फिर भी लिया जाता शुल्क पैसे वसूलने के तमाम तरीकों में कुछ इस तरह के भी फंडे है जैसे लड़की से मिलवाने,शादी तय कराने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी। कई मामलों में यह वसूली साढ़े सात हजार तक सीमित रही,तो कई में 70 हजार तक पहुंच गई। सूत्रों के मुताबिक शादी के लिए ये लोग 40 साल से ज्यादा उम्र वाले ऐसे लोगों को फंसाते थे, जिनका तलाक हो गया हो या फिर जिनकी पत्नी की मृत्यु हो गई हो।पंजीकरण के बाद इन्हीं लड़कियों में से कुछ संबंधित महिला बनकर होटल में परिवारों से मिलने के नाम पर रुपये लेती थीं। पुलिस ने विवाह के लिए पूर्व पंजीकृत लोगों से बात की तो पता लगा कि आज तक किसी की विवाह के लिए बातचीत नहीं कराई गई।जब पीड़ित सेंटर के नंबर पर कॉल करता था तो उसे ऑफ कर दिया जाता था। ऐसे लोग कभी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। कई ने तो अपने परिवारों से भी धोखाधड़ी की बात जग हंसाई के चलते छिपाई है।
बदायूं के युवक से शादी के नाम पर जब ठगी हुई तो पुलिस से शिकायत की। एसएसपी ने साइबर सेल से जांच कराई तो इस ठगी के नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ। छापेमारी के दौरान मौके से 12 लड़कियों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सभी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। लड़कियों को मुचलके पर छोड़ दिया गया है।
गौरतलब हो कि दातागंज के नेत्रपाल की वजह से तीन साल से चल रहे ठगी के धंधे का खुलासा हो सका। शहर की लड़कियां पकड़े जाने के बाद खुद को निर्दोष कहकर छोड़ने की गुहार लगाती रहीं तो पुलिस को ठग भी देर तक वेबसाइट के कागजात और रजिस्ट्रेशन दिखाकर सब कुछ ठीक होने का दावा करता रहा। जब ठगे गए लोगों के नाम-पते सामने लाए गए तो उसने सच स्वीकार कर लिया। सीओ थ्री श्वेता यादव, सीओ प्रथम दिलीप सिंह ने आरोपी से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाली बातें पता लगीं। ऑनलाइन मैच प्वाइंट के नाम से वेबसाइट का पंजीकरण बिल्कुल सही निकला। हालांकि इसके नियम कायदों का कॉल सेंटर पर पालन नहीं हो रहा था। वेबसाइट की ओर से निशुल्क पंजीकरण की सुविधा थी पर ये लोग कस्टमर से अपने खातों में रकम डलवा रहे थे। इस कॉल सेंटर से 12 लड़कियां मिलीं, जबकि कई लड़कियां यहां और जॉब करती हैं। इनको पांच से छह हजार रुपये प्रतिमाह पगार मिलती थी। कई लड़कियां ठगी के धंधे से अनभिज्ञ थीं तो पहले से जॉब कर रही लड़कियों को गोरखधंधे की जानकारी थी। कार्रवाई के बाद लड़कियों के परिवार के लोग उनकी सिफारिश में पहुंच गए।
डीडीपुरम में कॉल सेंटर की लोकेशन मिलने के बाद एसएसपी ने दबिश का आदेश दिया। शुरू में यह प्रेमनगर थाने का क्षेत्र लगा तो सीओ प्रथम और प्रेमनगर इंस्पेक्टर बलवीर सिंह पहुंच गए। बाद में पता लगा कि डीडीपुरम का यह हिस्सा बारादरी थाने में है तो सीओ थ्री और बारादरी पुलिस को साथ लिया गया।प्रिंटिग प्रेस मालिक पर उसके मकान में लंबे समय से चल रहे ठगी के धंधे की जानकारी होने का आरोप लगा तो वह एग्रीमेंट लेकर थाने पहुंचे। बताया कि उनका इस सेंटर से सिर्फ किरायेदार और मकान मालिक का ही संबंध है। उन्होंने वैध वेबसाइट के सेंटर के कागजात देखकर ही किराये का एग्रीमेंट किया था। उन्हें नहीं पता कि कॉल सेंटर में क्या धंधा चल रहा है।