शिक्षा का माखौल उड़ा रहे जिम्मेदार

रामकुमार मौर्य
बाराबंकी संदेश महल समाचार

देश के बच्चों के साथ शिक्षा विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी तक खिलवाड़ कर रहे हैं ।वह नहीं चाहते हैं कि देश के गरीब घर के बच्चे शिक्षित होकर देश के नौनिहाल सुखमय जीवन बिता सकें ।यह ऐसा विभाग है जिसमें नियम कानून की धज्जियां विभाग में बैठे लोग उड़ाते रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर जिम्मेदार अधिकारी बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। काफी वर्षों से विद्यालय का सत्र जुलाई माह से बदलता था इधर सरकार के हस्ताक्षेप से जुलाई माह के बजाएं अप्रैल माह में शिक्षा सत्र बदल कर नया सत्र प्रारंभ कर दिया गया तथा गर्मी के महीने में होने वाली छुट्टियां भी कम कर दी गई और यह लागू कर दिया गया की हर माह में पडने वाली जयंती जरूर मनाई जाए ।बच्चों को अभिभावक जिस उद्देश्य विद्यालय भेजता है उस उद्देश की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही हैं ।न तो किसी भी विद्यालय में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाती है और न ही उनके भविष्य का भी किसी को ध्यान है। ड्रेस ,भोजन, किताबें मुफ्त देने पर बच्चों की पढ़ाई अच्छी कभी नहीं हो पाएगी। क्योंकि जितना सरकार इन पर ध्यान देता है अगर उतना ही ध्यान बच्चों की पढ़ाई पर दिया जाए तो क्षेत्र का विकास अवश्य होगा 20 से लेकर 60 किलोमीटर की दूरी तय करके जब अध्यापक सरकारी स्कूल में पढ़ाने पहुंचेगा। तो वह कैसी शिक्षा बच्चों को देगा क्योंकि इन विद्यालयों में कार्यरत अध्यापक अपने क्षेत्र से काफी दूरी तय करके प्रतिदिन आते हैं। जबकि गर्मी के महीने में विद्यालय का समय बदल जाता है और प्रातः 8:00 से 2:00 बजे तक का होता है तो ऐसी स्थिति में जो नजदीक रहते हैं वह लोग विद्यालय समय से नहीं पहुंच पाते हैं ।तो बाराबंकी लखनऊ रहने वाला अध्यापक किस प्रकार से समय से विद्यालय पहुंचकर बच्चों को शिक्षा दे पाएगा ।अगर बच्चों को भोजन न देना हो तो यह विद्यालय कभी समय पर नहीं खुल पाएंगे ।क्योंकि इनके रसोईया विद्यालय पहुंचकर विद्यालय खोल देते हैं और अध्यापक अपने समय से विद्यालय पहुंचते हैं अभी गर्मी व धूप को देखते हुए जिलाधिकारी महोदय ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देशित किया कि इस समय गर्मी अधिक हो रही है इसलिए कक्षा 1 से लेकर 8 तक के सभी विद्यालय प्रातः 7:30 से लेकर 12:00 बजे तक चलेंगे इस आदेश को लेकर सभी विद्यालय नियमानुसार संचालित होने लगे हैं ।लेकिन इन विद्यालयों में पढ़ाने वाले गुरु जन विद्यालय समय से कैसे पहुंचेंगे। शिक्षा विभाग में बैठे जिम्मेदार लोग अभी तक इसमें कोई सुधार नहीं कर पाए हैं ।हमको मुगलों के शासनकाल की एक कहावत याद आती है की तुगलक ने एक आदेश जारी किया था की दिल्ली के बजाए दौलताबाद राजधानी बनाई जाए आदेश लागू हो गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर आदेश हुआ कि दिल्ली ही ठीक है। उसे फिर से राजधानी बनाई जाए ।ऐसा करने में इनके कर्मचारी व सेना दिल्ली से दौलताबाद दौड़ते रह गए
उन्हें कभी कामयाबी नहीं मिली ऐसी स्थिति में आने जाने में इनकी आधी सेना समाप्त हो गई। क्षेत्रीय अभिभावकों का मत है की बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ न किया जाए और जिम्मेदार व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि यह बच्चे देश के भविष्यहै। इनके साथ खिलवाड़ न किया जाए।