बाढ़ के कहर से बेघर हो रहे लोग

सीतापुर संदेश महल ब्यूरो रिपोर्ट सूर्यप्रकाश मिश्र के साथ

सरयू व शारदा नदी में पानी के उतार-चढ़ाव के बीच बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। रेउसा इलाके में बाढ़ से प्रभावित 100 से अधिक गांवों में हालात सुधरने के बजाय खराब होते जा रहे हैं। सैकड़ों लोगों को बाढ़ ने घर छोड़ने पर विवश कर दिया। यह सभी ऊंचे स्थानों पर झिल्ली व तिरपाल के तंबू में शरण लिए हैं। राशन सामग्री मिलने से किसी तरह इन्हें खाना तो नसीब हो जाता है, लेकिन जरूरत पर नाव नहीं मिलने से जोखिम उठाते हुए आवागमन करना पड़ रहा है। पीने के पानी की व्यवस्था करने को भटकना पड़ रहा है।उधर, रामपुर मथुरा इलाके में सरयू नदी के किनारे बसे तीन गांवों अखरी, शंकरपुरवा और परमगोंडा के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल, तटबंध के किनारे एक जसुई नाला बहता था जो तटबंध बनने से कहीं समाप्त हो गया तो कहीं पर यह एक बड़े नाले के रूप में बह रहा है। इस बार आई बाढ़ और तेज कटान से सरयू नदी ने अपना निशाना अखरी गांव को बनाया। इस गांव से करीब 100 मीटर पहले से ही इस नाले का अस्तित्व शुरू होता है।कटान के बाद अब सरयू नदी और जसुई नाले के बीच की दूरी महज 50 से 100 मीटर ही रह गई है। अगर कटान करती हुई सरयू इस नाले में मिल गई तो यह नाला भी नदी का रूप ले सकता है। जिससे सबसे पहले अखरी के अनिल आदि के घर कटान की जद में आएंगे। इसके बाद अखरी व परमगोंडा गांव में कटान भीषण रूप ले सकता है।तंबौर इलाके में शारदा नदी का पानी घटने के बाद भी बाढ़ग्रस्त गांवों मीतमऊ, परेवा, नन्हूई, नकहा,बड़रिया,बरक्षता, बरेला शिवपुर, रजनापुर, रोहिया आदि के बाशिंदों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। रजनापुर के लोगों ने बताया कि शनिवार को लेखपाल अजयपाल सिंह आये थे जो पीड़ितों की सूची बना ले गए हैं। लेकिन कोई राहत नहीं मिली है। बरक्षता के लेखपाल श्रवण कुमार, कानूनगो के साथ सोमवार को क्योंटाना तिराहे से बाढ़ के हालात का जायजा लेकर चले गए। क्योंकि बाढ़ के कारण आगे जाने का रास्ता नहीं था। पिछ्ले पांच दिनों से बाढ़ पीड़ितों को कोई राहत नही बांटी गई है। इन गांवों में विद्युत पोल पानी मे डूबे होने के कारण बिजली भी काट दी गई है।