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ललाट पर अर्धचंद्र और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ऐसे स्वरूप को नमस्कार

 

अशोक अवस्थी
लहरपुर सीतापुर संदेश महल समाचार

संपूर्ण सृष्टि जिनकी आराधना में रत है सावन के सोमवार को जिनकी छवि सर्वत्र दृष्टिगोचर हो जाती है जिनका प्रभाव ब्रह्मांड में व्याप्त है उन देवाधिदेव का ध्यान पूजन अर्चन आवश्यक है
श्री शंकर जी का शरीर नीलमणि और प्रबाल के समान सुंदर है तीन नेत्र हैं चारों हाथों में पास ललकमल कपालऔर त्रिशूल है आधे अंग में अंबिका जी और आधे में महादेव जी हैं दोनों अलग-अलग प्रकारों से सज्जित हैं ललाट पर अर्धचंद्र है और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ऐसे स्वरूप को नमस्कार है
ध्यानम। जो विश्व की उत्पत्ति स्थिति और लयआदि के एकमात्र कारण हैं गौरी गिरिराज कुमारी उमा के पति हैं तत्त्वज्ञ हैं जिनकी कीर्ति का कहीं अंत नहीं है तथा जिनके स्वरूप अचिंत्य है उन विमल दिशा स्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं
चांदी के पर्वत समान जिनकी श्वेत कांति है जो सुंदर चंद्रमा को आभूषण रूप से धारण करते हैं रतनमय अलंकारों से जिनका शरीर उज्जवल है जिनके हाथों में पशु तथा आमद वर और अभय मुद्राएं हैं जो प्रसन्न हैं पदम के आसन पर विराजमान हैं देवता गण जिनके चारों ओर खड़े होकर स्तुति करते हैं जो बाघ की खाल पहनते हैं जो विश्व के आदि जगत की उत्पत्ति के बीज और समस्त भय को हरने वाले हैं जिनमें पांच मुख और तीन नेत्र हैं उन महेश्वर का ध्यान प्रतिदिन करना चाहिए प्रजा की सृष्टि करने वाले प्रजापति देव भी प्रबंध संस्कार भय से मुक्त होने के लिए जिन्हें नमस्कार करते हैं जो सावधान चित वाले ध्यान पारायण महात्माओं के हृदय मंदिर में सुख पूर्वक विराजमान होते हैं और चंद्रमा की कला सांपों के कंकड़ तथा व्यक्त चीन वाले कपाल को धारण करते हैं संपूर्ण लोकों के आदिदेव उन भगवान महाकाल की जय हो सोमनाथ मल्लिकार्जुन महाकाल ओंकारेश्वर बैद्यनाथ भीम शंकर रामेश्वर नागेश्वर विश्वनाथ त्र्यंबकेश्वर केदारनाथ और घुश्मेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग को सादर प्रणाम है।