पीलीभीत में आस्था का केंद्र बना हुआ है इलाबांस देवल 

जेपी रावत
पीलीभीत जिला मुख्यालय से करीब 47 किलोमीटर दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में बीसलपुर तहसील क्षेत्र में 45 बीघा में फैला इलाबास देवल पूर्व मध्यकाल का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल रहा है। यह देवस्थल दियोरिया रेंज जंगल की सीमा से सटा होने के कारण प्राकृतिक सुंदरता बिखेरता है। यहां पर बराही देवी (इष्ट देवी) का मंदिर है। यहां लाखों लोग दर्शन पूजन हेतु प्रति वर्ष आते रहते हैं। इस प्राचीन स्थल पर प्रत्येक माह की अमावस्या और प्रति वर्ष चैत्री का विशेष मेला लगता है। चैत्र एवं शारदीय नवरात्रों में हजारों की संख्या में भक्त यहां पर पूजा अर्चना व दर्शन करने पहुंचते हैं। पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर, लखीमपुर व बरेली आदि के दर्शनार्थी यहां पर पहुंचते हैं। हजारों की संख्या में भक्तों की टोली पैदल झंडी यात्रा लाकर झंडी चढ़ाने आते हैं । मंडल में बड़ी संख्या में निवास करने वाले लोधी किसान बराही देवी को अपनी कुलदेवी बताते हैं। बताया जाता है कि मुख्य मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में रुहेलखंड के राजा लल ने कराया था। मुख्य मंदिर की दीवार पर एक शिलालेख लगा हुआ है जिसको 11वीं और 12वीं शताब्दी का बताया जाता है। शिलालेख पर संवत 1049 दर्ज है। सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप की पहल पर भारतीय पुरातत्व ने 2018 में यहां सर्वेक्षण किया था। मंदिर के आसपास कई प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं जिनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों की बताई जा रही है। यह स्थल लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।”