नाले के रूप में नजर आ रही गोमती असली स्वरूप में लौटने का बना संकट

जेपी रावत
संदेश महल समाचार
राजधानी लखनऊ की शोभा बढ़ाने वाली गोमती नदी पीलीभीत जिले में अधिकांश स्थानों पर नाले के रूप में नजर आती है। दरअसल नदी के बहाव क्षेत्र को चकबंदी के दौरान लोग अपने नाम दर्ज करवा चुके हैं। इसके चलते नदी के बहाव व असली स्वरूप में लौटने का संकट बना हुआ है। यह सच है कि गोमती नदी कभी भव्य रुप में उद्गम से जनपद की सीमा से होती हुई लखनऊ तक बहती थी परंतु ऐसा क्या हुआ की नदी नाले में बदल गई। पुराने लोग बताते हैं कि लोगों ने सबसे पहले नदी के बहाव क्षेत्र पर कब्जा करने शुरू किए और चकबंदी प्रक्रिया में नदी की इस जमीन को चकबंदी व राजस्व विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों से मिलकर अपने नाम दर्ज करा लिया। उसके बाद नदी नाले के रूप में आ गई। जब जब खुदाई हुई तो इसे नाले का रूप देकर मिट्टी दोनों तरफ के किनारों पर एकत्र की गई। पड़ोस के किसानों ने इसके किनारे काटने शुरू कर दिए और उन्हें अपने खेत में मिलाते चले गए। पानी का बहाव न होने से कुछ मिट्टी फिर से नाले में गिरी और नाला पट गया। यह स्थिति इस बार भी देखी गई। गत वर्ष नदी को नाले के रूप में ही तैयार किया गया था। फिर से नाला पटने लगा। नाले के किनारे काटकर लोग खेतों में मिला रहे हैं और नदी संकुचित होती चली जा रही है। लोगों की मांग है कि अगर जिलाधिकारी वास्तव में नदी को वास्तविक रूप में लाना चाहते हैं तो चकबंदी से पहले के अभिलेख निकलवा कर गोमती का बहाव क्षेत्र देखें और जो भी हेराफेरी करके नदी की जमीन कब्जाई गई है उससे लोगों के कब्जे हटवाएं। तभी कुछ कल्याण हो सकता है। वरना गोमती यूँ ही नाले के रूप में रहेगी।