पत्रकारों की छवि हो रही धूमिल झोलाछाप डॉक्टरों ने ओढ़ा पत्रकारिता का चोला

जेपी रावत
संदेश महल समाचार
गांव से लेकर शहर तक बिना प्रशिक्षण बिना डिग्री लाइसेंस के हर गली मोहल्ले चौराहों पर जगह-जगह झोलाछाप डॉक्टरों की सजी दुकानों का धंधा अपनी चरम सीमा पर है। ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को ठगने के लिए अपने ही किसी सगे संबंधी को पैथोलॉजी लैब खुलवा देते हैं, जिससे मरीज जो पैसा लेकर आए वो और कहीं न जाए। ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजों से तो पैसे लेते ही हैं साथ में जांच के नाम पर पैथोलॉजी वालों से भी वसूलते हैं।

पत्रकारों को हो रही छवि धूमिल

झोलाछाप डॉक्टरों के गलत उपचार से शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक हो रही मौतों के मामले आए दिन समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहते हैं।जिसको संज्ञान में लेकर स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी की कार्यवाही से बचने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों का एक नया ट्रेंड देखने को मिला।झोलाछाप डॉक्टरों ने कुछ यूट्यूब चैनल न्यूज पोर्टल संचालकों से सांठ-गांठ व धनबल से माईक आईडी व प्रेस कार्डों को हासिल कर लिया है।जिससे कहने और देखने को तो पत्रकार हैं। लेकिन सारे दिन मरीजों से अवैध वसूली करते हैं। इनके द्वारा संचालित अवैध क्लीनिकों में माईक आईडी और प्रेस कार्ड रखे मिलेंगे जिससे क्लीनिक पर आने वाली जांच टीम पर दबाव बनाया जा सके। पत्रकारिता की हनक दिखाकर अपने ऊपर होने वाली कार्यवाही से बचा जा सके।जिससे पत्रकारिता जगत में सेवा दे रहे लोगों की छवि धूमिल हो रही है।
पत्रकार के भेष में यह बहुरुपिए अपने अलावा क्षेत्र के अन्य झोलाछापों को भी स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से बचाने की जिम्मेदारी लिए रहते हैं। इतना ही नहीं आवागमन लिए प्रेस लिखे वाहनों का उपयोग करते हैं।
आवागमन के दौरान सड़कों पर ऐसे प्रेस लिखे वाहनों पर पुलिस प्रशासन को उनका पेशा एवं पत्रकारिता से संबंध की गहनता से जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में प्रेस लिखे वाहनों से होने वाली अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।