रणथंभौर संदेश महल
रणथंभौर टाईगर रिजर्व का प्रशासन काम नहीं करता इनके काम और मुस्तैदी का आलम यह है कि लापता 25 बाघों के लिए जांच कमेटी गठित होते ही मात्र 48 घंटे के अल्प समय में विभाग ने 10 लापता बाघों को ढूंढ निकाला। इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग के पास जिन्न का चिराग या कोई जादू की छड़ी है , जिसका शायद ये अब तक उपयोग ही नहीं कर रहे थे। जैसे ही उच्चाधिकारियों का दबाव पड़ा और जाँच कमेटी गठित हुई वैसे ही रणथंभौर के वनाधिकारियों ने जैसे अपने तरकश से चिराग या जादू की छड़ी निकाली और चिराग घिसते ही बाहर निकले जिन्न या जादू की छड़ी ने वनाधिकारियों के कहने मात्र से साल भर से अधिक समय से गायब 10 बाघों को तुरंत ढूंढ निकाला। रणथंभौर से लापता हुवे 25 बाघों में से जाँच कमेटी गठित होते ही रणथंभौर के वन अधिकारी 10 बाघों को मिलना बता रहा है। इनके फोटो सीसीटीवी कैमरे में कैद होने की जानकारी दी जा रही है, लेकिन मामले में वन अधिकारी मीडिया के कैमरों का सामना करने से बच रहे है। रणथंभौर के डीएफओ रामानंद भाकर ने मीडिया के कैमरों का सामान नही करने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया कि वन विभाग लापता 25 बाघों में से बाघ टी-66, टी-93, टी-94, टी-121, टी-122, टी-137, टी-2306, टी-2311, टी-2405, टी-2407 के मिलने की जानकारी दी है । लेकिन विभाग यह जानकारी नहीं दे पा रहा है कि यह बाघ किस क्षेत्र में थे तथा कहां मिले हैं और अब तक ये कहां विचरण कर रहे थे। मामले को लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर पवन कुमार उपाध्याय ने 22 अक्टूबर 2024 को 25 बाघों के लापता होने को लेकर मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक रणथंभौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर को पत्र लिखा था। पत्र में बताया था कि रणथंभौर से बाघ टी-3, टी-1, टी-38, टी-48, टी-54, टी-63, टी-74, टी-79, टी-128, टी-131, टी-135, टी-14, टी-66, टी-93, टी-94, टी-99, टी-121, टी-122, टी-137, टी-139, टी-2306, टी-2311, टी-2401, टी-2405, टी-2407 लापता हो गए हैं। लम्बे समय से उक्त बाघों का पुख्ता प्रमाण प्राप्त नहीं होना चिंता का विषय है। बाघों की सघन ट्रेकिंग करा इनकी उपस्थिति के पुख्ता साक्ष्य प्राप्त कर इस कार्यालय को प्रेषित करने का श्रम करें। लेकिन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा रणथंभौर के वनाधिकारियों को लिखे गए पत्र के बाद भी अधिकारियों के कानों पर जूं नही रेंगी ,ऐसे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने लापता बाघों की छानबीन को लेकर एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन कर दिया ,जिसे दो माह में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी ,लेकिन जाँच कमेटी गठित होने के महज 48 घंटो के भीतर ही रणथंभौर के वनाधिकारियों ने रणथंभौर से लापता हुवे 25 बाघों में से 10 बाघों के मिलने की जानकारी दे दी , ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि रणथंभौर के वनाधिकारियों के पास ऐसा कौन सा जिन्न का चिराग या जादू की छड़ी है जो जाँच कमेटी बनाने के बाद महज 48 घण्टे के भीतर ही लापता 25 में से 10 बाघों को ढूंढ निकाला ,ओर शेष 15 बाघ आखिर क्यों नही मिले , वैसे अगर जानकारों की माने तो रणथंभौर में 25 नही बल्कि विगत 10 सालों में 39 बाघ बाघिन एंव शावक लापता हो चुके है जो अपने आप में एक बड़ा आंकड़ा है ,हालांकि वन अधिकारियों द्वारा इसकी कभी पुष्टि नही की गई और हम भी इसकी पुष्टि नही करते ,लेकिन यह आंकड़ा वाकई हैरान करने वाला है । मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारी मीडिया के सामने आने को तैयार नही है ,लेकिन वन्यजीव विशेषग्यों का मानना है कि रणथंभौर से लापता कुछ बाघ बाघिन उम्र दराज हो चुके थे ऐसे में उनकी स्वाभाविक मौत की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता ,लेकिन बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर रणथंभौर के वन अधिकारी बाघों की मॉनिटरिंग को लेकर आखिर इस तरह ओर इतने लापरवाह क्यो बने रहते है।अब प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय जांच कमेटी इस मामले को किस तरह देखती है ये तो आने वाले वक्त में जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकेगा।