रिपोर्ट
मुकेश कुमार यादव
संदेश महल समाचार
उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के कस्बा टिकैतनगर बाराबंकी सरयू नदी के विनाशकारी तांडव के बाद अब बाढ़ प्रभावित पीड़ितों के समक्ष जीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। किसानों की गाढ़ी कमाई की फसल पानी के बहाव में बह कर नष्ट हो चुके और प्रशासनिक मदत में भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के समय में सरयू नदी का बढ़ता जलस्तर तरैया चलने के लिए मुसीबत का कहर बनकर टूट रहा था। नेपाल से छोड़े गए पानी व बरसात के पानी में आई प्रलयंकारी बाढ़ से कम यार कॉलोनी इटावा पश्चिम मौलाना पूरा गौरी का पूरा गोबराहा तिलवारी गिरधरपुर मोदी को पुरावा कलहंस पूरा सुबह मांझा रायपुर मांझा परसों वाला समेत दर्जनों गांव बुरी तरह से बाढ़ प्रभावित हुए और लोगों की गणना धान की फसल घाघरा नदी की बाढ़ में बह कर नष्ट हो गई यहां तक कि जिससे सैकड़ों गरीब परिवार का गन्ना सोजा जिससे वह अपने परिवार बच्चों के साथ तटबंध पर रहकर रात गुजारने को विवश हो जाए नदी के कछार के जीव-जंतुओं को से पीड़ित परिवारों ने रात रात जाकर अपने ननिहाल के जीवन की रक्षा की चारों ओर फैली सर्दियों में दी कि यदि त्राहि-त्राहि में शासन प्रशासन की मदद के मुंह में जीरा साबित हो गए क्योंकि घाघरा नदी की बार प्रशासन से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सामग्री वितरित करने की जमानत उठाई लेकिन उनका प्रयास पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सका और बाढ़ पीड़ितों की लाइन के अंतिम छोर पर अखाड़ा पीड़ित की बाट जोह रहा क्योंकि सूट भैया सफेदपोश लोगों ने केवल अपने चहेते लोगों को ही चिन्हित करवा कर उन्हें बाढ़ राहत सामग्री वितरित कराए और गरीबों को जमकर मखौल उड़ाया गया जो वास्तविक बाढ़ पीड़ित थे वह मदद की उम्मीद लगा रहे थे हालांकि उन महीना चल रहे बिना संहिता खत्म हो है लेकिन घाघरा के छाले बसे गांव के ग्रामीण के तमाम तरह की समस्याएं खड़ी है क्योंकि घाघरा नदी किस राशि से हजारों एकड़ धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई और तो वहीं पालतू मवेशियों के लिए चारा की व्यवस्था नहीं है और चारे की व्यवस्था ना होने से मवेशी भी भूख खूब मरने को विवश हैं मासूम बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी अलग है तो वही संक्रामक बीमारियों को फैलाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता ऐसे में ग्रामीणों के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो हो गया है।